सीटें बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र के मेडिकल कॉलेज ने फर्जी मरीजों की भर्ती दिखाई तो सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के दौरान भड़क गया। अस्पताल में नकली मरीजों की भर्ती पर कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज की तरफ से पेश हुए एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या आपने संजय दत्त की फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस देखी है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने 14 जनवरी, 2022 को यानि मकर संक्रान्ति के दिन एक औचक निरीक्षण किया लेकिन वहां उतने मरीज भर्ती नहीं मिले, जितने कागजों पर दिखे थे। कोर्ट ने कहा कि बीमारी मकर संक्रान्ति को खत्म नहीं होती है।

दरअसल, महाराष्ट्र के चूडामन पाटिल मेडिकल कॉलेज के इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही थी। अस्पताल पर आरोप है कि उसने फर्जी मरीजों की भर्ती दिखाकर मेडिकल सीटें बढ़ाने का आवेदन किया, लेकिन निरीक्षण में पकड़ा गया। आरोपों है कि मेडिकल कॉलेज के बाल चिकित्सा वार्ड में सभी बच्चों को बिना किसी समस्या के भर्ती कराया गया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि मामले में फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस की तरह के आरोप लग रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ नेशनल मेडिकल कमीशन की तरफ से दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने मेडिकल छात्रों की सीटें बढ़ाने के लिए मेडिकल कॉलेज के दोबारा निरीक्षण की अनुमति दी थी। कॉलेज ने एमबीबीएस कोर्स के लिए सीटें 100 से बढ़ाकर 150 करने के लिए आवेदन किया था। आवेदन के साथ उसने जो दस्तावेज जमा किया था, उसमें कहा गया था कि भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ रही है, इसे देखते हुए मेडिकल स्टूडेंट्स की सीटें 100 से बढ़ाकर 150 की जानी चाहिए।

नेशनल मेडिकल कमीशन ने 14 जनवरी को औचक निरीक्षण किया तो वहां उतने मरीज भर्ती नहीं मिले, जितने कागजों पर दिखाए गए थे। एनएमसी ने सीटें बढ़ाने की अनुमति वापस ले ली थी। मेडिकल कॉलेज ने हाईकोर्ट में एनएमसी के निर्णय को चुनौती ने। इस पर हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज को दोबारा निरीक्षण कराने या फिर पुनर्विचार अपील का विकल्प दिया। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एनएमसी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कहा कि इसे एनएमसी अधिनियम के प्रावधानों को ध्यान में रखे बिना पारित किया गया।

उधर, मेडिकल कॉलेज इस बात से भी नाराज था कि निरीक्षण ठीक से नहीं किया गया था। उसके दौरान घोर लापरवाही की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए बहाल कर दिया और नए सिरे से निर्णय लिया।