महाराष्ट्र के नागपुर से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। यहां ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व के कोलसा वन रेंज में दो बाघों का क्षत-विक्षत शव मिला। जब शवों की जांच की गई तो पता चला कि उनका शिकार एक अन्य बाघ ने ही किया था। उस बाघ ने ही दोनों का मांस खाया था। इस घटना के बारे में विशेषज्ञ पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वे इसकी विस्तृत जांच कर रहे हैं कि आखिर शिकारी बाघ ने ऐसा क्यों किया।
दरअसल, शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि दोनों बाघ क्षेत्रीय विवाद में किसी दूसरे बाघ का शिकार बन गए थे। दोनों बाघों की उस तीसरे बाघ से हिंसक लड़ाई हुई थी। इस घटना में शिकारी बाघ (टी-92) दूसरे दो बाघों का मांस खा गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना यह बताती है कि बाघों के बीच अपने एरिया को लेकर संघर्ष कितना हिंसक हो सकता है। शवों में से दो साल के बाघ के पिछले हिस्से का मांस खाया हुआ था। वहीं 6 साल के दूसरे बाघ (टी-14) का शव थोड़ी ही दूर पर क्षत-विक्षत हालत में पाया गया।
विशेषज्ञों ने आगे कहा कि शव की जांच से पता चलता है कि बाघों के बीच क्षेत्रीय लड़ाई हुई। इसके बाद एक बाघ ने दोनों को मार दिया और उनका मांस खा गया। जांच के बाद अधिकारियों ने पाया कि शिकारी बाघ को उसी क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरे में कैद किया गया था। उसी ने बाकी दो बाघों को मारा है।
सीसीटीवी में कैद हुआ बाघ
रिजर्व के उप निदेशक नंदकिशोर काले ने कहा कि बाघ को उसी क्षेत्र के कैमरा में कैद किया गया है। उन्होंने आगे कहा, “हम यह पता लगा रहे हैं कि क्या यह वही बाघ है जिसने अन्य दो को मार डाला।” काले ने आगे कहा कि पनघाट सेफ्टी हट के कर्मचारियों ने दो दिनों में बाघों के बीच खतरनाक लड़ाई देखी थी। यहीं पर बाघों की मौत हुई थी। यह क्षेत्र गैर-पर्यटन क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा, “यह cannibalism (सेम प्राणी का मांस खाना) का मामला लगता है, लेकिन जिन परिस्थितियों में यह घटना हुई उनकी जांच होनी चाहिए।”
वहीं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के निदेशक किशोर रिठे ने कहा, Cannibalism एक प्राकृतिक घटना है, जहां बाघ उन शावकों को निशाना बनाते हैं जिन्हें वे नहीं पालते हैं। हालांकि बाघों का उन्हें खाना खिलाना एक ऐसी चीज है, जिसका अध्ययन करने की जरूरत है। यह पार्कों में होता है, जहां बाघों का घनत्व अधिक होता है।”
जीतने वाला बाघ हारने वाले को खा जाता है
मामले में वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट के आदित्य जोशी ने दावा किया कि बाघ आदतन दूसरे बाघों के मांस नहीं खाते हैं लेकिन कुछ परिस्थितियों में ऐसा हो सकता है। उन्होंने आगे कहा, “जब क्षेत्रीय लड़ाई में एक बाघ दूसरे बाघ द्वारा मारा जाता है तो जीतने वाला टाइगर हारने वाले का मांस खा सकता है।”