कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को मिली अप्रत्याशित जीत का असर महाराष्ट्र तक महसूस होने लगा है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने महा विकास अघाड़ी की एक अहम बैठक बुलाई। उस बैठक में अजित पवार, उद्धव ठाकरे मौजूद रहे। मीटिंग में 2024 के लोकसभा चुनाव पर चर्चा हुई, कर्नाटक में कांग्रेस की जीत पर बात की गई और विपक्षी एकता पर भी विस्तार से मंथन हुआ।

पवार की ये बैठक मायने क्यों रखती है?

बैठक उस समय की गई जब एक तरफ पहले शरद पवार के इस्तीफे ने सियासी भूचाल ला दिया था, तो वहीं बाद में उनका एक बयान भी चर्चा का विषय रहा था। पवार ने कह दिया था कि किसी को नहीं पता कि हम आगे भी साथ रहेंगे या नहीं। उनका ये बयान उस सवाल पर आया था जब पूछा गया कि क्या महा विकास अघाड़ी आगामी लोकसभा चुनाव में भी साथ ही रहने वाली है। इस सवाल पर पवार के जवाब ने महा विकास अघाड़ी के अंदर ही अटकलों का दौर शुरू कर दिया था। सवाल उठने लगे थे कि क्या आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी अपनी राहें अलग कर लेगी।

इसके ऊपर जिस तरह से बीच में अजित पवार के बीजेपी के करीब जाने की खबरें चली थीं, उसने भी राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को हवा देने का काम कर दिया था। लेकिन अब जब कर्नाटक में कांग्रेस की अप्रत्याशित जीत हुई है। ऐसी जीत जिससे विपक्ष को भी एक नई राह मिली है जहां पर स्थानीय मुद्दों को उठा बीजेपी को पीएम मोदी के समर्थन के बावजूद भी सियासी पटखनी दी जा सकती है। इसी कड़ी में शरद पवार की इस बैठक को भी देखा गया है।

संजय राउत ने क्या बोला?

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए संजय राउत ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस को मिली जीत किसी एक पार्टी की नहीं बल्कि पूरे विपक्ष की जीत है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महाराष्ट्र में एक बार फिर महा विकास अघाड़ी की सरकार बनने वाली है। ये भी साफ कर दिया गया कि एमवीए में मौजूद सभी दल एक साथ हैं, कोई मतभेद नहीं है।