मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं। उन्हें महाराष्ट्र के विपक्षी दलों का समर्थन तो मिल रहा है लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि कोई भी राजनीतिक दल उनकी इस मांग के साथ नहीं है कि मराठाओं को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटे के तहत आरक्षण दिया जाए।

बीते दिनों में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में शामिल (कांग्रेस, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) के विधायक और सांसद पाटिल से मिले और आंदोलन को समर्थन दिया लेकिन उनके नेता ओबीसी कोटे के बंटवारे की मांग को लेकर कुछ नहीं कह रहे हैं।

आइए, जानते हैं कि महा विकास अघाड़ी में शामिल दलों का इस मामले में क्या रुख है?

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शरद पवार का क्या कहना है?

एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि मराठाओं को आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा और 50% आरक्षण की सीमा को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इसकी पहल करनी चाहिए। पवार ने तमिलनाडु का उदाहरण दिया, जहां पर 69% आरक्षण दिया जा चुका है।

मराठा आरक्षण को लेकर पवार का रुख शुरुआत से यही रहा है कि यह अलग से दिया जाना चाहिए।

ओबीसी कोटे से छेड़छाड़ न हो- कांग्रेस

कांग्रेस का भी यही कहना है कि ओबीसी कोटे से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। कांग्रेस कहती है कि मराठों को ओबीसी कोटे में शामिल करने से राज्य के सामाजिक ढांचे को नुकसान होगा। एक समुदाय को खुश करने के लिए किसी दूसरे समुदाय को नाराज नहीं किया जा सकता।

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा, “राज्य सरकार को आंदोलन का तुरंत हल निकालना होगा। हम मानते हैं कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए लेकिन इससे ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होना चाहिए।”

शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पाटिल से फोन पर बात की और उनके आंदोलन को समर्थन देने का वादा किया। उद्धव ठाकरे ने ओबीसी कोटे के तहत मराठा आरक्षण देने की मांग का समर्थन करने से इनकार कर दिया।

ओबीसी नेता क्या कहते हैं?

सत्ता और विपक्ष के ओबीसी नेताओं का कहना है कि मराठों को अलग से आरक्षण मिलना चाहिए। 2024 में हुई एक सर्वदलीय बैठक में मराठों के लिए अलग आरक्षण के संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया था। इसमें जोर दिया गया था कि ओबीसी आरक्षण से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

राज ठाकरे ने क्या कहा?

महाविकास अघाड़ी में शामिल दल जानते हैं कि वे सिर्फ एक समुदाय पर निर्भर नहीं रह सकते। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस मामले में काफी खुलकर बयान दिया है। ठाकरे ने कहा, “मैंने पहले ही कहा था कि ओबीसी कोटे के भीतर मराठाओं को आरक्षण देना संभव नहीं होगा। जो नेता वादे कर रहे हैं, वे मराठाओं को गुमराह कर रहे हैं।”

मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का कहना है कि मराठाओं को पहले से ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC) अधिनियम के तहत 10% आरक्षण मिला हुआ है। उन्होंने कहा, “ओबीसी कोटे में मराठा आरक्षण देने का सवाल ही नहीं उठता। हम एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ नहीं खड़ा करना चाहते।”

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मराठाओं को ओबीसी में शामिल करने की मांग

राजनीतिक दलों के रुख के उलट पाटिल ने चेतावनी दी है कि जब तक मराठाओं को ओबीसी में शामिल नहीं किया जाता, वह अनशन खत्म नहीं करेंगे। उन्होंने फड़नवीस सरकार से कहा है कि मराठवाड़ा के सभी मराठों को तुरंत कुनबी घोषित किया जाना चाहिए ताकि वे ओबीसी आरक्षण का लाभ उठा सकें।

डिप्टी सीएम शिंदे का कहना है कि मराठाओं को ओबीसी कोटे में आरक्षण नहीं मिल सकता लेकिन हम उनके कल्याण के लिए अलग से आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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