Maharashtra Politics Crisis: महाराष्ट्र में भतीजे अजित पवार राजनीति के माहिर खिलाड़ी अपने चाचा शरद पवार पर ही भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। बुधवार को दोनों गुटों की बैठक में अजित पवार के समर्थन में पार्टी से अधिकांश विधायक और नेता दिखाई दिए। इसके बाद अजित पवार ने पार्टी के नाम और निशान पर अपना दावा ठोंक दिया। इतना ही नहीं उन्होंने शरद पवार को हटाकर खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी घोषित कर दिया। हालांकि यह सबकुछ रातोरात नहीं हुआ है। इसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी लेकिन शरद पवार को इसकी भनट तक नहीं लगी।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट से मुताबिक अजित पवार की ओर से शपथग्रहण से पहले ही चुनाव आयोग को एनसीपी में टूट की जानकारी दे दी गई थी। अजित की ओर से 30 जून को भी पार्टी के नाम और निशान को लेकर ईसी को चिट्ठी लिखी गई। इस चिट्ठी में 40 विधायक, सांसद और एमएलसी के हस्ताक्षर थे। खुद चुनाव आयोग ने इस चिट्ठी के मिलने की आधिकारिक पुष्टि कर दी है। हालांकि 30 जून को भेजी गई चिट्ठी चुनाव आयोग ने 5 जुलाई को स्वीकार की है।

शरद पवार गुट भी पहुंचा चुनाव आयोग

शरद पवार की ओर से महाराष्ट्र एनसीपी (शरद गुट) के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी 3 जुलाई को चुनाव आयोग में एक कैविएट दाखिल कर दी। किया था। जयंत पाटिल ने बगावत करने वाले एनसीपी के नौ नेताओं को अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग से मांग की है। चुनाव आयोग की ओर से दोनों गुटों को जल्द दस्तावेज पेश करने को कहा गया है। चुनाव आयोग ने कहा कि नियम और कानूनों के मुताबिक इस मामले में फैसला लिया जाएगा।

बता दें कि एनसीपी की स्थिति भी कुछ वैसी ही हो गई है जैसी शिवसेना की हुई थी। तब उद्धव ठाकरे गुट ने मूल शिवसेना होने का दावा करते हुए पार्टी के नाम और निशान सहित किसी अन्य दावेदार के दावे पर कोई भी फैसला लेने से पहले उनको भी अवश्य सुने ऐसा कहा था। चुनाव आयोग में एकनाथ शिंदे गुट ने भी दावा किया। दोनों ओर से दस्तावेज मांगने के बाद आयोग ने कहा कि दोनों पक्ष पार्टी में विभाजन के ऊपर से नीचे तक की इकाइयों के समर्थन के सबूत पेश करें। सारी दलीलों और सबूतों पर विचार कर आयोग ने आखिरकार शिवसेना का नाम और धनुष बाण का निशान एकनाथ शिंदे गुट के नाम कर दिया था।

किस गुट को कितने विधायकों को समर्थन?

बुधवार को हुई दोनों दलों की बैठक में अजित पवार का पलड़ा भारी दिखाई दिया। अजित पवार की बैठक में 31 विधायक और 4 एमएलसी पहुंचे। दूसरी तरफ वाई.बी. चव्हाण सेंटर में हुई शरद पवार गुट की मीटिंग में 13 विधायक और चार सांसद पहुंचे। बता दें कि एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं। 9 विधायक ऐसे हैं जो फिलहाल किसी भी गुट में नहीं हैं। अगर अजित पवार को दलबदल कानून से बचना है कि उन्हें 37 विधायकों से समर्थ की जरूरत पड़ेगी। अजित का दावा है कि उनके समर्थन में 40 विधायक हैं लेकिन सब मीटिंग में नहीं आ पाए थे।