Maharashtra Politics: 2 जुलाई को एनसीपी (NCP) नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने राज भवन में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सभी को चौंका दिया। उनके साथ एनसीपी से 8 अन्य विधायक भी शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए। अजित पवार का दावा है कि उनके पास एनसीपी के 40 विधायकों को समर्थन है। महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर कोई नई बात नहीं है। इसका पुराना इतिहास रहा है। अक्टूबर 2019 में जब विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए गए तो किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इसके साथ ही सरकार बनाने और विपक्षी पार्टी के विधायकों को अपने खेमे में लेकर बहुमत पाने की जद्दोजहत शुरू हो गई। चलिए सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं कि महाराष्ट्र में कब-कब हुआ पाला बदलने का खेल हुआ।

21 अक्टूबर 2019: शिवसेना का मुख्यमंत्री पद पर दावा

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के 21 अक्टूबर 2019 को नतीजे आए थे। नतीजे आने के बाद शिवसेना ने बीजेपी के सामने मुख्यमंत्री पद की डिमांड रख दी, जिसे बीजेपी ने खारिज कर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 2014 से 2019 तक बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन की सरकार चलाई थी लेकिन 2019 के चुनाव में पहले सीट बंटवारे और चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद हुआ। दोनों ही पार्टी मुख्यमंत्री का पद अपने पास रखना चाहती थीं।

23 नवंबर 2019: फडणवीस ने सुबह 5 बजे ली शपथ

23 नवंबर 2019 की तड़के सुबह 5 बजे बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सभी को चौंका दिया। अजीत पवार ने एनसीपी में फूट डाल कर अपने साथ कई विधायकों के समर्थन का दावा किया। हालांकि बाद में ये दावा खोखला साबित हुआ। शरद पवार ने अपने सभी विधायकों की परेड करवा दी। राजभवन की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए और कोर्ट से विश्वासमत हासिल करने का आदेश दिया गया। इसके बाद फडणवीस की सरकार गिर गई। अजित पवार भी चाचा शरद पवार के साथ सुलह कर वापस एनसीपी में आ गए।

28 नवंबर 2019: उद्धव ठाकरे बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

फडणवीस की सरकार गिरने के बाद महाराष्ट्र में धुर-विरोधी कांग्रेस और शिवसेना साथ आ गई। दोनों दलों को साथ लाने में एनसीपी के शरद पवार ने बड़ी भूमिका निभाई। तीनों पार्टियों ने मिलकर गठबंधन बनाया जिसे महाविकास अघाड़ी (MVA) कहा गया। इस गठबंधन में शिवसेना से उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली वहीं एनसीपी से अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया। कांग्रेस को विधानसभा स्पीकर का पद दिया गया। यह सरकार करीब ढाई साल तक चली।

30 जून 2022: शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे ने पलटा खेल

पिछले साल जून में महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा सियासी अलटफेर देखने को मिला। शिवसेना के 40 विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे बागी हो गए। शिंदे गुट के विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही। इसके बाद बीजेपी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। बीजेपी के प्रस्ताव पर राजभवन ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा। ठाकरे ने बिना बहुमत साबित किए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। ठाकरे के इस्तीफा के बाद बीजेपी के सहयोग से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनाए गए। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो कोर्ट ने शिंदे गुट पर कार्रवाई के लिए विधानसभा स्पीकर से कहा। स्पीकर कोर्ट में 16 विधायकों की सदस्यता अभी भी लंबित है।

2 जुलाई 2023: अजित पवार ने शरद पवार को दिया बड़ा झटका

शिवसेना में बगावत के ठीक एक साल बाद एनसीपी में भी बड़ी टूट देखने को मिल रही है। शरद पवार के भतीजे और एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार ने 2 जुलाई 2023 को अपने 40 विधायकों के साथ एनडीए सरकार में शामिल होने का ऐलान कर दिया। अजित पवार ने शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 8 अन्य विधायक भी सरकार में शामिल हो गए। एनसीपी की टूट में शरद पवार के काफी करीबी रहे प्रफुल्ल पटेल और छगन भुगबल जैसे नेता भी शामिल हैं। अजित गुट का कहना है कि उनके पास दो तिहाई से अधिक विधायक है और संगठन में भी उनके लोग हैं।