Maratha Reservation: मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने शनिवार को ज़ोर देकर कहा कि वो मराठा राजनीति में नहीं पड़ना चाहते और सिर्फ़ आरक्षण चाहते हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि वह मराठा समुदाय के धैर्य की परीक्षा न ले।

मुंबई के आजाद मैदान में मीडिया से बात करते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि सरकार को यह ग़लतफ़हमी नहीं फैलानी चाहिए कि मराठा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ़ यह मांग कर रहे हैं कि हमें कुनबी श्रेणी के तहत पात्रता के आधार पर कोटे में हमारा वाजिब हिस्सा मिले।

मनोज जरांगे पाटिल ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत कोटा की मांग कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए, एक कृषि प्रधान जाति जो ओबीसी श्रेणी में शामिल है, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बनेंगे।

जरांगे ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम राजनीति में नहीं पड़ना चाहते। हम सिर्फ़ आरक्षण चाहते हैं। सरकार को मराठा समुदाय के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि हम ओबीसी कोटा कम करने की मांग नहीं कर रहे हैं। गलत सूचना न फैलाएं।

उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से गरीब मराठों का अपमान न करने का आग्रह किया। उन्होंने फडणवीस पर राज्य में अस्थिरता पैदा करने और माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया। जरांगे ने अपने समर्थकों से शांत और धैर्य रखने को कहा।

जरांगे ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का एक प्रशासक है, और मुख्यमंत्री के प्रभाव में, उसने प्रदर्शनकारियों का खाना-पानी बंद कर दिया है। हम इसे नहीं भूलेंगे। आपने सार्वजनिक शौचालय और होटल बंद कर दिए हैं। देखते हैं आप कितने दिन गरीब मराठों को परेशान करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी इसलिए नाराज़ हैं क्योंकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं।

मुंबई में मराठा अधिकारों के विरोध प्रदर्शन पर प्रमुख अपडेट-

हजारों समर्थक विरोध प्रदर्शन में जरांगे के साथ मुंबई आए, शहर का आजाद मैदान खचाखच भर गया और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसटीएम) और चर्चगेट रेलवे स्टेशनों जैसे आसपास के इलाकों में ठहरे हुए हैं।

शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान, जरांगे ने कहा कि राज्य सरकार ने कार्यकर्ता और अन्य प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू नहीं की है और धमकी दी कि आने वाले कुछ दिनों में और लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि मैं अब पीछे नहीं हटूँगा। मैं मराठा आरक्षण के लिए गोली खाने को तैयार हूं। अगर मुझे सलाखों के पीछे डाला गया तो मैं जेल में भी अपनी भूख हड़ताल जारी रखूँगा।

मराठा कार्यकर्ता ने शुक्रवार को यह भी धमकी दी कि यदि सरकार की ओर से उनकी मांगों पर विचार करने में देरी जारी रही तो वह अगले दो दिनों में पानी पीना बंद कर देंगे।

जरांगे ने मुंबई में प्रदर्शनकारियों के लिए सुविधाओं की कथित कमी की भी आलोचना की और दावा किया कि “चाय की दुकानें, रेस्टोरेंट और शौचालय बंद रखे गए हैं। उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पीने ​​का पानी भी उपलब्ध नहीं था। क्या यह जानबूझकर किया जा रहा है? आप तो अंग्रेजों से भी बदतर हैं… आपने मराठों के साथ ऐसा ही किया था जब वे मुंबई आए थे। जब आप हमारे इलाकों में कार्यक्रमों के लिए आएंगे तो उन्हें यह याद रहेगा।

राज्य भर से मराठा पूरी तैयारी के साथ, एक महीने तक के राशन सहित, जरांगे के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने आए। बीड के एक 31 वर्षीय किसान ने कहा कि एक महीने का राशन लाया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, विरोध प्रदर्शन में शामिल होने आए एक अन्य किसान ने कहा कि हमारे पास खाने-पीने की पूरी व्यवस्था है और ज़रूरत पड़ने पर यहीं चूल्हा भी है। सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं किया है, लेकिन हम काम चला लेंगे।

गुरुवार रात से ही राज्य भर से प्रदर्शनकारियों का शहर में आना शुरू हो गए थे, कुछ ने तो विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आगे बढ़ने से पहले फ्लाईओवर पर रात बिताई। शुक्रवार दोपहर जब विरोध प्रदर्शन चल रहा था, तब शहर में बारिश होने लगी, जिससे कई लोगों ने सीएसएमटी, बीएमसी मुख्यालय के गेट के नीचे, बस स्टॉप और अभी तक खुले नहीं हुए मेट्रो स्टेशन की सीढ़ियों पर शरण ली। कुछ लोगों ने तो बारिश से बचने के लिए रेनकोट भी पहन लिए।

प्रदर्शनकारियों की मदद के लिए आगे आते हुए नवी मुंबई के सकल मराठा समाज ने राज्य भर से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने आ रहे लोगों के लिए आवास, पानी, भोजन आदि जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने की मांग की है। वाशी के सिडको प्रदर्शनी केंद्र में लगभग 40,000 से 50,000 लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। संगठन के एक समन्वयक के अनुसार, प्रदर्शनकारियों की ज़रूरतों के आधार पर यह सुविधा दो से तीन दिनों तक चालू रहेगी।

मामले से वाकिफ कुछ लोगों के मुताबिक, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल, जो खुद मराठा हैं, उनको जरांगे से संपर्क करने और उनसे बातचीत करने को कहा है। इसके बाद विखे-पाटिल शुक्रवार शाम शिरडी से मुंबई पहुंचे।

शिरडी से मुंबई के लिए रवाना होते समय विखे-पाटिल ने कहा कि हम जरांगे-पाटिल के प्रस्ताव पर विचार करेंगे, हालाँकि कैबिनेट उप-समिति (जो आरक्षण के बारीक पहलुओं पर विचार कर रही है) की बैठक अभी तय नहीं हुई है। आर्थिक राजधानी पहुंचने के बाद सब कुछ तय हो जाएगा।

यह भी पढ़ें- मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे का मुंबई में अनशन शुरू, बोले- मांगे पूरी होने तक नहीं हटेंगे

इससे पहले शुक्रवार को देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में महायुति सरकार के पिछले कार्यकाल में मराठों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। उन्होंने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों द्वारा उठाई गई नई मांगों पर विचार करने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया गया है।

फडणवीस ने कहा कि हमें एक कानूनी समाधान निकालना होगा क्योंकि केवल वादे ही काम नहीं आएंगे। हमने कैबिनेट उप-समिति को निर्देश दिया है कि वह उनसे (प्रदर्शनकारियों से) चर्चा करे और फिर हमसे बात करके इस मुद्दे को सुलझाए, क्योंकि दोनों समुदायों – मराठा और ओबीसी को एक-दूसरे के खिलाफ नहीं आना चाहिए। कुछ लोग स्थिति को बढ़ाने और दोनों समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें- महुआ मोइत्रा की शाह पर टिप्पणी से विवाद, बीजेपी ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत