Maharashtra Assembly Elections 2019 में BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 288 विधानसभा सीटों वाले सूबे में उसे कुल 105 सीटें हासिल हुईं हैं। भगवा पार्टी ने इस बार का चुनाव शिवसेना के साथ लड़ा और जीत के बाद साथ मिलकर सरकार बनाने से जुड़ा ऐलान भी किया। हालांकि, इस चुनाव में बीजेपी की यह जीत कई पैमानों और पहलुओं के लिहाज से जीत नहीं मानी जा रही है। राज्य में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी उसे हारा हुआ और नुकसान में ही माना जा रहा है। ऐसा क्यों और कैसे है, जानिए इन सरल पांच बिंदुओं में:

1- बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है। सूबे में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत के लिए 145 सीटें चाहिए, पर भगवा पार्टी को सिर्फ 105 ही मिलीं। वैसे, पिछली बार के चुनाव में यह आंकड़ा 122 था। वह भी अकेले (बगैर किसी घटक दल के)। यानी इस बार सीटें बढ़नी चाहिए थीं, पर उल्टा ये घट गईं। ऊपर से, चुनाव के पहले दावा था कि 220 सीट आएंगी, लेकिन हुआ कुछ और ही। चूंकि, शिवसेना को इस बार 56 सीट मिलीं और सरकार बनाने के लिए बीजेपी को उसका समर्थन चाहिए होगा, इसलिए भगवा पार्टी को उद्धव ठाकरे के दल की बातें माननी पड़ सकती हैं।

2- इस चुनाव में भाजपा के कुल नौ मंत्रियों को मात मिली। इनमें सात कैबिनेट मंत्री हैं और 2 राज्य मंत्री. सबसे बड़ा नाम- पंकजा मुंडे का है। रोचक बात है कि वह चचेरे भाई धनंजय मुंडे से ही हार गई. वह भी तब, जब वह सीएम देवेंद्र फडणवीस की सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं. और, पीएम मोदी और अमित शाह तक ने उनके लिए प्रचार-प्रसार किया था।

3- दल-बदलुओं को मिली हार भी इस बार बीजेपी के लिए जीत के बाद भी हार ही मानी जा रही है। दरअसल, विस चुनाव से पहले कांग्रेसी-NCP के नेता बीजेपी-शिवसेना में आए थे, पर इन 35 दल-बदलुओं में से 19 हारे. बड़े नाम- जयदत्त सागर और वैभव पिचड़ आदि हैं। यही नहीं, विस चुनाव के साथ सतारा लोकसभा सीट पर उपचुनाव भी हुआ, जिसमें शिवाजी महाराज के वंशज उदयानंद भोंसले भी हार गए। वह चुनाव से पहले NCP से बीजेपी में आए थे। भगवा दल ने सोचा था कि वह जीतेंगे पर, हुआ उल्टा।

4- बीजेपी का गढ़ माना जाने वाले विदर्भ इलाके में बीजेपी की सीटें गिरीं। इस बार पार्टी को 29 सीट मिलीं, जबकि 2014 में 44 सीटें आई थीं। बता दें कि इस क्षेत्र में कुल 62 सीटें हैं। देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी समेत कई बड़े नेता इसी इलाके से आते हैं। खुद सीएम नागपुर की जिस सीट से लड़े, वहां वह कम अंतर से जीत सके।

5- इतना ही नहीं, इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू भी खासा नहीं कारगर साबित हुआ। दरअसल, सूबे में उन्होंने नौ जगह चुनावी सभाएं कीं, जिनमें तीन पर बीजेपी के कैंडिडेट्स हार गए।