Eknath Shinde Health Update: महाराष्ट्र में नई सरकार गठन के बीच एकनाथ शिंदे की अचानत तबीयत बिगड़ गई है। डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल के लिए घर पहुंची है। एकनाथ शिंदे की तबीयत ऐसे वक्त बिगड़ी है जब महाराष्ट्र में महायुति की तरफ से सरकार गठन को लेकर मंथन चल रहा है कि आखिर राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा? इसी बीच एकनाथ शिंदे की अचानक तबीयत बिगड़ना बड़ा सवाल खड़े करता है।
जानकारी के मुताबिक, सतारा के दरे स्थित अपने निवास पर ठहरे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बुखार है। सतारा से डॉक्टरों की एक टीम उनके आवास पर पहुंच गई है और उनका इलाज कर रही है। सतारा में उनका पैृतक आवास है, जहां वह रह रहे हैं।
मुख्यमंत्री शुक्रवार से सर्दी और वायरल बुखार से पीड़ित हैं। सुबह से ही उनकी तबीयत ठीक नहीं है। वह पिछले एक महीने से राज्य के चुनावी दौरे पर थे और पिछले कुछ दिनों से सैकड़ों बैठकें करने के कारण उन्हें बुखार और सर्दी जैसे वायरल संक्रमण से जूझना पड़ रहा है, इसलिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आराम करने के लिए गांव गए हुए हैं। उन्हें फिलहाल बुखार है और उनका इलाज शुरू कर दिया गया है।
शिंदे के डॉक्टर ने क्या कहा?
न्यूज 18 के मुताबिक, शिंदे परिवार के डॉक्टर आर्यहम पाते ने कहा कि एकनाथ शिंदे को सर्दी-खांसी है। उनको IV लगाया है। शिंदे 2 से 3 दिनों में वह ठीक हो जाएंगे। डॉ. पाते ने बताया कि अभी थोड़ा-थोड़ा बात की है। उन्होंने बताया कि शिंदे रविवार शाम को मुंबई के लिए निकलेंगे। डॉक्टरों की टीम ने टेस्ट के बाद एकनाथ शिंदे को स्लाइन भी चढ़ाई है। डॉक्टरों ने फिलहाल उन्हें आराम करने की सलाह दी है।
बताया जा रहा है कि शिंदे गुट के नेता और पूर्व मंत्री दीपक केसारकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मिलने उनके गांव पहुंचे थे। हालांकि, खराब स्वास्थ्य की वजह से केसारकर की शिंदे से मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद केसारकर सतारा से वापस मुंबई लौट आए।
बता दें, दिल्ली में अमित शाह संग महायुति की बैठक में एकनाथ शिंदे शामिल होने के बाद सीधे सतारा स्थित अपने पैतृक आवास पर चले गए थे। उन्होंने मुंबई में महायुति की बैठक रद्द कर दी गई थी। इसके बाद ऐसी अटकलें थीं कि वह गठबंधन में मुख्यमंत्री पद को लेकर बने गतिरोध से नाराज हैं। हालांकि, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने इन दावों को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि पार्टी प्रमुख अस्वस्थ महसूस कर रहे थे, इसलिए अपने गांव गए हैं।
बता दें, महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के लिए महायुति गठबंधन तेजी से काम कर रहा है। गुरुवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गठबंधन नेताओं के बीच दिल्ली में एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी ने एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद देने का प्रस्ताव रखा। हालांकि, शुरू में मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की ख्वाहिश रखने वाले एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम पद की पेशकश को स्वीकार करने से कतरा रहे हैं। उनके इस विरोध ने बीजेपी के लिए एक नई राजनीतिक पहेली खड़ी कर दी है।
सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे ने बीजेपी से अपने शिवसेना गुट के किसी अन्य नेता को डिप्टी सीएम पद देने के लिए कहा है। वह खुद महायुति सरकार से पूरी तरह बाहर रहने पर भी विचार कर रहे हैं। हालांकि, बीजेपी शिंदे को सरकार से अलग रहने नहीं देना चाहती है। भाजपा का कहना है कि नई सरकार में शिंदे की भूमिका अहम है। खबर है कि शिंदे को लगता है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद डिप्टी सीएम की कुर्सी स्वीकार करना उनके कद को कम करेगा। उन्होंने डिप्टी सीएम पद के लिए अपने बेटे श्रीकांत शिंदे का नाम भी आगे बढ़ाया है। हालांकि, बीजेपी इस प्रस्ताव को मंजूर करेगी, इसकी संभावना कम है। श्रीकांत शिंदे के पास इतने हाई-प्रोफाइल पद के लिए जरूरी राजनीतिक अनुभव नहीं है।
भाजपा का मानना है कि श्रीकांत शिंदे को डिप्टी सीएम पद पर बिठाने से महायुति पर परिवारवाद के आरोप लग सकते हैं। इसके अलावा, शिंदे गुट के कई सीनियर नेता खुद को दरकिनार महसूस कर सकते हैं, जिससे अंदरूनी कलह पैदा हो सकती है। अगर श्रीकांत शिंदे डिप्टी सीएम का पद संभालते हैं, तो उन्हें अजित पवार जैसे अनुभवी नेताओं के साथ काम करना होगा। दोनों के बीच तुलना शिवसेना गुट की छवि को कमजोर कर सकती है। बीजेपी के रणनीतिकारों को यह भी डर है कि श्रीकांत की आक्रामक राजनीतिक शैली सरकार में मुद्दों को जन्म दे सकती है।
भाजपा एकनाथ शिंदे को अपनी सरकार में एक अहम कड़ी मानती है। पिछले एक साल में एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं। कार्यकर्ता मनोज जारंगे पाटिल जैसे प्रमुख मराठा नेताओं के साथ उनके जुड़ाव ने उनकी स्थिति को मजबूत किया है। मराठों के बीच एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता और विश्वसनीयता भाजपा के लिए बहुमूल्य है। मराठा आरक्षण मुद्दे पर भविष्य में होने वाले विरोध प्रदर्शनों या अशांति की स्थिति में बीजेपी का मानना है कि सरकार में शिंदे की मौजूदगी तनाव को कम करने में मदद करेगी।
बीजेपी क्यों शिंदे को मनाने में जुटी
बीजेपी एकनाथ शिंदे को सरकार में बनाए रखना चाहती है, इसकी एक और वजह है अजित पवार का महायुति गठबंधन में बढ़ता प्रभाव। अगर एकनाथ शिंदे हटते हैं तो अजित पवार का सरकार पर नियंत्रण और बढ़ जाएगा। पवार को संतुलित करने के लिए भाजपा दो मजबूत मराठा नेताओं को मुख्य पदों पर चाहती है। एकनाथ शिंदे के बने रहने से यह सुनिश्चित होगा कि पवार का प्रभाव गठबंधन पर हावी न हो। यह संतुलन महायुति सरकार की एकता और स्थिरता बनाए रखने के लिए ज़रूरी है।
शिंदे ने रखी हैं शर्तें?
हालांकि, शिंदे डिप्टी सीएम की भूमिका स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन खबर है कि उन्होंने मुआवजे के तौर पर अहम विभागों की मांग की है। इनमें गृह, शहरी विकास और लोक निर्माण शामिल हैं – जो सरकार के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक हैं। चल रही बातचीत के तहत भाजपा इन मांगों पर विचार कर रही है।
23 नवंबर को जारी हुए थे नतीजे
बता दें, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए गए थे जिसमें महायुति को 233 सीटें मिली. इतना बंपर जनादेश मिलने के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने अभी तक मुख्यमंत्री के लिए अपनी पसंद को अंतिम रूप नहीं दिया है। 280 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि उसके सहयोगी दलों – एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 57 और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं।
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