महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ ने कैंटीन के एक कर्मचारी को पीट दिया। जिसके बाद सरकार ने कैंटीन का लाइसेंस भी निलंबित कर दिया है। गायकवाड़ ने कैंटीन को लेकर आरोप लगाया था कि उन्हें बासी भोजन परोसा गया। विधायक की शिकायत के बाद महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कैंटीन से खाने का नमूना एकत्र किया और उसे परीक्षण के लिए भेज दिया गया। एफडीए के एक अधिकारी ने बताया है कि टीम ने पनीर, सॉस और दाल जैसे खाद्य पदार्थों के नमूने ले लिए गए हैं। जिसे लैब भेजा जाएगा। जिसके बाद 14 दिन के भीतर रिपोर्ट आने की उम्मीद है।

मुंबई में एमएलए हॉस्टल कैंटीन में हुए इस मामले को लेकर बुधवार को गायकवाड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा कार्रवाई की मांग की गई। इसी बीच गायकवाड़ ने कहा कि उन्हें अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं है और “जरूरत पड़ने पर वह इसे फिर दोहराएंगे”। उन्होंने कहा, “जब कोई लोकतांत्रिक भाषा समझने में विफल रहता है, तो मुझे इस भाषा का इस्तेमाल करना पड़ता है।”

मंगलवार रात को हुई कथित घटना के बाद विपक्ष ने बुधवार को विधान परिषद में विपक्ष ने यह मामला उठाया और गायकवाड़ के निलंबन की मांग की। विधान परिषद में बोलते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि गायकवाड़ के व्यवहार से विधानमंडल की छवि धूमिल हुई है और विधानसभा अध्यक्ष तथा विधान परिषद के सभापति को उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लेना चाहिए।

अपने किए पर विधायक को कोई पछतावा नहीं

इस घटना के बाद बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए गायकवाड़ ने दावा किया कि उनके कमरे में बासी खाना परोसा गया। उन्होंने कहा कि खाने की गुणवत्ता को लेकर वो पहले भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बुलढाणा विधानसभा क्षेत्र से विधायक गायकवाड़ ने कहा, “अगर एक विधायक को ऐसा खाना परोसा जा रहा है, तो सोचिए आम आदमी को क्या मिलता होगा।”

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गायकवाड़ ने आगे कहा, “मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। मैं एक जनप्रतिनिधि हूँ। जब कोई लोकतांत्रिक भाषा नहीं समझ पाता, तो मुझे ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना पड़ता है। मैंने कई बार अधिकारियों से शिकायत की है। मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है और जरूरत पड़ने पर मैं इसे दोहराऊँगा।” खाने को लेकर उन्होंने कहा, “खाना पूरी तरह से खराब हो चुका था जिसे बिल्कुल भी अस्वीकार्य नहीं किया जा सकता था। मैं इस मुद्दे को मौजूदा विधानसभा सत्र में उठाऊँगा।” उन्होंने खाने की शिकायत करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से भी मुलाकात की।

सोशल मीडिया पर खूब वायरल रहा वीडियो 

घटना की बात करें तो उसका कथित वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल है। वीडियो में नजर आ रहा है कि विधायक कमर पर तौलिया और बनियान पहने कैंटीन कर्मचारियों से खट्टी दाल और खराब चावल को लेकर बहस करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद, वह कैंटीन के एक कर्मचारी पर बार-बार हमला करते हैं और वहां मौजूद अन्य लोगों से बिल न चुकाने को कहते हैं। उनके समर्थक भी कैंटीन कर्मचारियों पर हमला करते दिखाई दे रहे हैं।

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वहीं घटना को लेकर गायकवाड़ की पार्टी के मुखिया और सरकार में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को “जिम्मेदारी से” व्यवहार करना चाहिए। बुधवार शाम तक पुलिस में इस मामले को लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई थी। लेकिन कानून केवल कैंटीन कर्मचारी के लिए ही नहीं है। जो कानून कैंटीन में काम करने वाले कर्मचारी पर लागू होता है वहीं माननीय विधायक पर भी लागू होता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री फडणवीस इस मामले पर कार्रवाई करने की बजाय विधानसभा अध्यक्ष के विवेक पर छोड़ देते हैं। वहीं विधायक के पार्टी के नेता एकनाथ शिंदे भी कार्रवाई करने की जगह बस नसीहत से काम चलाते नजर आ रहे हैं। जबकि कैंटीन पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है।

विपक्ष ने विधायक पर कार्रवाई की मांग की

विधान परिषद में इस मामले को उठाते हुए शिवसेना (यूबीटी) सदस्य अनिल परब ने कहा, “सरकार का एक वरिष्ठ विधायक बनियान और तौलिया पहनकर आता है और एक कर्मचारी की पिटाई कर देता है। क्या विधायकों के व्यवहार के बारे में कोई निर्देश हैं? क्या ये लोग सीधे सड़क से आ रहे हैं? उस कर्मचारी का क्या अपराध था? इससे आपकी सरकार की छवि खराब हो रही है।” परब ने कहा कि विधायक को निलंबित किया जाना चाहिए।

जिसके मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि गायकवाड़ का व्यवहार गरिमा हीन था और इससे विधानमंडल की छवि धूमिल हुई। उन्होंने कहा कि विधायक खाने की शिकायत कर सकते थे, “लेकिन किसी व्यक्ति की इस तरह पिटाई और उसका वीडियो सामने आने से हमारी छवि पर असर पड़ेगा।” फडणवीस ने कहा, “इससे लोगों में गलत संदेश जाता है। लोगों के सामने इस तरह का व्यवहार करना उचित नहीं है। सभापति और विधानसभा अध्यक्ष को इस पर ध्यान देना चाहिए और तय करना चाहिए कि इस पर क्या कार्रवाई की जाए।”

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शिंदे ने कहा कि उन्होंने गायकवाड़ को फटकार लगाई थी। उन्होंने कहा, “उन्हें बासी और खराब खाना दिया गया था तो खाना खाने के बाद उन्हें उल्टी हो गई। इसलिए गुस्से में आकर उन्होंने कर्मचारियों की पिटाई कर दी। लेकिन विधायक तो विधायक होता है। किसी को भी पीटना उचित नहीं है, और मैंने उन्हें चेतावनी भी दे दी है। सभी दलों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए।”

विधायक संजय गायकवाड़ का विवादों से पुराना नाता रहा है। इससे पहले सितंबर 2024 में, उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जाति और आरक्षण पर की गई टिप्पणी को लेकर उनकी “जीभ काटने” वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। जिसको लेकर उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी।

वहीं पिछले साल की शुरुआत में, एक वीडियो में यह दावा करने के बाद कि उन्होंने 1987 में एक बाघ का शिकार किया था और उसके दांत को पेंडेंट की तरह पहना था। जिसके बाद उन्हें वन विभाग के साथ कानूनी पचड़े में पड़ना पड़ा था। वन विभाग ने बाघ के दांत को जब्त कर लिया और गायकवाड़ पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।