महाराष्ट्र चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद पर मचे घमासान के बाद अब महायुति में विभागों के आवंटन पर भी तकरार जारी है। मंत्रिमंडल विस्तार से पहले प्रमुख विभागों के आवंटन से नाराज उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बुधवार को नई दिल्ली नहीं आए। वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार बुधवार दोपहर राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे।
महायुति के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “तीनों नेताओं- फडणवीस, शिंदे और पवार की औपचारिक बैठक दिल्ली में होनी थी। बैठक में सत्ता-बंटवारे के फार्मूले और प्रत्येक पार्टी को मिलने वाले मंत्री पद और विभागों को औपचारिक रूप दिया जाना था।”
शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “शिवसेना का मानना है कि भाजपा सरकार के भीतर उनकी शक्तियों को कम करने के लिए व्यवस्थित रूप से काम कर रही है। वे न केवल शिंदे को गृह मंत्रालय देने से इनकार कर रहे हैं, बल्कि नई सरकार में पार्टी द्वारा मांगे गए राजस्व, उद्योग और आवास विभागों के लिए भी सहमत नहीं हैं।”
किसने मांगा कौन सा विभाग?
इसके अलावा, एनसीपी ने हाउसिंग विभाग पर दावा ठोका है, जो पिछली सरकार में बीजेपी के पास था। इससे भी शिंदे नाराज हैं। एक सूत्र ने बताया, “शिंदे ने न केवल मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया है, बल्कि महत्वपूर्ण गृह विभाग के लिए दबाव न डालने पर भी सहमति जताई है।”
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सूत्र ने कहा कि शिवसेना का मानना है कि भाजपा और एनसीपी महायुति सरकार में उसकी शक्तियों को कमज़ोर करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। शिवसेना का मानना है कि सीएम पद छोड़ने के बाद राजस्व और शहरी विकास पर उसका उचित अधिकार है, जिसे भाजपा देने को तैयार नहीं है। भाजपा ने सुझाव दिया है कि शिवसेना को शहरी विकास या राजस्व में से किसी एक को अपने पास रखना चाहिए।
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से मिले फडणवीस
विभागों को लेकर महायुति में मतभेदों पर भाजपा के एक सूत्र ने कहा, “फडणवीस का दिल्ली दौरा तय था। मुख्यमंत्री बनने के बाद यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू , उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय परिवहन, सड़क और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की ।” राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले फडणवीस के साथ थे।
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महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री समेत 43 मंत्री बनाए जा सकते
वहीं, महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार 16 दिसंबर को होने की संभावना है। राज्य में मुख्यमंत्री समेत 43 मंत्री बनाए जा सकते हैं। मंत्रियों की संख्या सीटों से अधिक होने के कारण तीनों पार्टियां- भाजपा, शिवसेना और एनसीपी सौदेबाजी में जुटी हैं। हालांकि, औपचारिक संरचना तैयार हो चुकी है लेकिन विभागों को लेकर कुछ पेचीदा मुद्दे हैं, जिन्हें महायुति नेताओं को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली में एक बैठक में सुलझाना था।
132 विधायकों वाली भाजपा ने 21 मंत्री (मुख्यमंत्री सहित) मांगे हैं। 57 विधायकों वाली शिवसेना को 12 मंत्री मिलने की संभावना है। और 41 मंत्रियों वाली एनसीपी को 10। हालांकि, शिवसेना कम से कम 13 मंत्री और राज्य विधान परिषद के अध्यक्ष पद पर जोर दे रही है। देशभर के मौसम से जुड़े लेटेस्ट अपडेट्स के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग