नई दिल्ली। हरियाणा और महाराष्ट्र में 15 अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार सोमवार शाम समाप्त हो गया। इस दौरान भाजपा और कांग्रेस सहित विभिन्न दलों ने प्रतिद्वंदी पार्टियों पर निशाना साधा और अपने-अपने दलों के लिए वोट बटोरने की जीतोड़ कोशिश की।
पिछले कई दिनों से चल रहे चुनाव प्रचार का शोर सोमवार शाम पांच बजे लाउडस्पीकरों के शांत होने के साथ ही समाप्त हो गया। राजनीतिक दलों ने अब अपने कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
लोकसभा चुनावों में मिली शानदार जीत के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धुआंधार प्रचार करते हुए दोनों राज्यों में 30 से ज्यादा रैलियां कीं। भाजपा के लिए यह चुनाव उसकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है और नतीजों को उसकी लोकप्रियता के ग्राफ में कमी या इजाफे के तौर पर देखा जाना तय है। वंशवादी राजनीति और भ्रष्टाचार को लेकर विरोधियों पर निशाना साधने वाली भाजपा चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय चेहरे के बगैर काफी हद तक मोदी पर निर्भर दिखी।
दूसरी ओर कांग्रेस ने महाराष्ट्र में पृथ्वीराज चव्हाण को, राकांपा ने अजीत पवार को और शिवसेना ने उद्धव ठाकरे को पेश किया।
इस बार खास बात यह है कि महाराष्ट्र में भाजपा लंबे समय से अपनी सहयोगी रही शिवसेना से अलग हो गई। महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं, जबकि हरियाणा में 90 सीटें हैं। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने शिवसेना की आलोचना से परहेज किया। महाराष्ट्र में भाजपा 257 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि छोटे सहयोगी दल 31 सीटों पर मैदान में हैं। कांग्रेस और राकांपा ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। शिवसेना और भाजपा आखिरी बार 1989 से पहले हुए चुनाव में अलग-अलग मैदान में उतरी थीं। उनका गठबंधन 1989 में हुआ था। महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों ने मराठा अस्मिता, हिंदुत्व, भ्रष्टाचार और विकास को रेखांकित किया। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने विकास के मुद्दे पर जोर दिया, जबकि शिवसेना ने अपने को महाराष्ट्र की असली पहचान के रूप में पेश किया। भाजपा ने भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस-राकांपा पर हमला बोला।
हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने भाजपा को बहुमत देने की अपील करते हुए कहा कि खंडित जनादेश से किसी का हित नहीं पूरा होगा। राज्य में हाल तक मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल के बीच होता था, लेकिन अब इस बार कई नए दल भी मैदान में हैं। हालांकि मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर कांग्रेस, भाजपा और इनेलो को ही देखा जा रहा है और तीनों दलों को अपने दम पर सत्ता में आने की उम्मीद है। भाजपा हरियाणा के इतिहास में पहली बार सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
हरियाणा में दो नई पार्टियों, पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की हरियाणा जन चेतना पार्टी और निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी के अलावा बसपा, हरियाणा जनहित कांग्रेस और वाम दल भी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जानेमाने स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत चौधरी रणवीर सिंह के पुत्र और दो बार से मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर रोहतक जिले में गढ़ी सांपला किलोई क्षेत्र से मैदान में हैं। मुख्यमंत्री के सामने सत्ता विरोधी रुझानों और दूसरे कारकों के बीच लगातार तीसरी बार कांग्रेस को जीत दिलाने की चुनौती है।
वर्ष 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में कांगे्रस को 40 सीटें मिली थीं जबकि इनेलो को 31 और भाजपा को चार सीटों पर जीत मिली थी। बाकी सीटें अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को मिली थीं। देवी लाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला और चौटाला के पुत्र अजय सिंह शिक्षक भर्ती घोटाला में सजा के कारण चुनावी मैदान से बाहर हैं। लेकिन परिवार के उन सदस्यों की प्रतिष्ठा दांव पर है जो चुनावी मैदान में हैं।