महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस पर कुछ नगर पालिकाओं ने मीट की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है। हालांकि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार इस आदेश से खुश नहीं हैं और महायुति में अलग राय रखते हैं। कुछ दिन पहले ही अजित पवार ने कुरैशी समुदाय से मुलाकात की थी और गौरक्षकों द्वारा कथित उत्पीड़न के मुद्दे पर शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को एक आदेश जारी किया जिसमें निर्देश दिया गया कि केवल पुलिस या अधिकृत अधिकारी ही अवैध पशु परिवहन के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि निजी व्यक्तियों को व्यापारियों को रोकने, जांच करने या उन पर हमला करने का कोई अधिकार नहीं है। अजित पवार के कदमों से लग रहा है कि वह महायुति में रहकर भी खुद को सेकुलर साबित कर रहे हैं।

महायुति में तीन मुस्लिम विधायक

महायुति गठबंधन के कुल तीन मुस्लिम विधायकों में से दो एनसीपी के हैं। अजित पवार के कई प्रमुख सहयोगी जैसे सुनील तटकरे, ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां मुस्लिम वोट महत्वपूर्ण हैं। वहीं राजनीति पर नजर रखने वाले बुद्धिजीवियों का मानना है अजित पवार का कड़ा रुख उनकी राजनीति के अनुरूप है, न कि किसी विचारधारा से।

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने 288 में से 235 सीटें जीतीं थीं। इसके बाद अजित पवार ने अल्पसंख्यक समुदाय की आशंकाओं को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया था। हालांकि चुनाव में महाविकास अघाड़ी का मुस्लिम नेतृत्व ने खुले तौर पर समर्थन किया था।

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अल्पसंख्यक समुदाय को विश्वास दिला रहे अजित पवार

इस साल की शुरुआत में अल्पसंख्यक समुदाय को एक सीधा संदेश देते हुए अजित पवार ने कहा था, “जब तक मैं सरकार में हूं, किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। मैं अपनी बात का पक्का हूं।” उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय विश्वास सभा को भी संबोधित किया, जहां उन्होंने कहा, “कुछ लोग अपने निहित राजनीतिक स्वार्थों के लिए समुदाय के मन में भय पैदा करने की कोशिश करते हैं। मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि हम आपके साथ मिलकर सरकार चलाने का प्रयास कर रहे हैं। राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करना हमारी सरकार की ज़िम्मेदारी है।”

इस महीने की शुरुआत में अजित पवार ने कुरैशी समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की। कुरैशी समुदाय ने बढ़ते उत्पीड़न और हिंसा के कारण राज्य भर में पशु व्यापार बंद कर दिया था। अजित पवार के कार्यालय ने यह सुनिश्चित किया कि बैठक का व्यापक प्रचार हो और राज्य के जनसंपर्क विभाग द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। अजित पवार ने प्रतिनिधिमंडल से कहा, “इस समुदाय के व्यापारियों और पशुओं का परिवहन करने वाले किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।”

मांस की दुकानों को बंद करने के खिलाफ अजित पवार

अब अजित पवार ने स्वतंत्रता दिवस पर नगर निगमों द्वारा बूचड़खानों और मांस की दुकानों को बंद करने के खिलाफ आवाज़ उठाई है। उन्होंने मंगलवार को कहा, “हालांकि आषाढ़ी एकादशी या महावीर जयंती जैसे धार्मिक अवसरों पर जनता की भावनाओं का सम्मान करना महत्वपूर्ण है, लेकिन महाराष्ट्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस जैसे दिनों पर मांस या मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने का कोई औचित्य नहीं है।”

हालांकि अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ वर्ग अजित पवार के वादों के जमीनी स्तर पर असर को लेकर निराश हैं। इससे पहले जब अधिकारी उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहे थे, तब बॉम्बे सबअर्बन बीफ डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद अली कुरैशी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, “अजित पवार उन मंत्रालयों को नियंत्रित नहीं करते जो हमारे व्यापार को नियंत्रित करते हैं। हमें यह मानने के लिए ठोस नतीजों की जरूरत है कि सरकार गंभीर है।”

बीजेपी ने क्या कहा?

हालांकि समुदाय की समस्याएं अब दूर हो सकती हैं, लेकिन अजित पवार के असहमति भरे शब्दों के बावजूद नगर निगमों ने स्वतंत्रता दिवस पर बूचड़खानों और मांस की दुकानों को बंद करने के आदेश वापस नहीं लिए हैं। प्रतिबंध को सही ठहराते हुए भाजपा ने दावा किया है कि इस तरह के निर्देश 1988 से जारी किए जा रहे हैं।

एनसीपी के विधायक संग्राम जगताप जैसे नेताओं को स्पष्ट रूप से खुली छूट, जिनके भड़काऊ बयानों को पुणे के यवत इलाके में सांप्रदायिक तनाव और हालिया हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया था, भी पार्टी के लिए मुश्किल कड़ी कर रहा है। जगताप की टिप्पणी पर अजित पवार ने कहा था, “संग्राम कभी-कभी भाषणों के दौरान फिसल जाते हैं लेकिन अब ऐसा न हो। हमें सबको साथ लेकर चलना होगा।” बाद में अजित पवार ने वादा किया कि वे उनसे (जगताप से स्पष्टीकरण मांगेंगे। लेकिन कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई।

एनसीपी महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष सलीम सारंग ने स्वीकार किया कि जगताप जैसे नेताओं के बयानों से पार्टी को नुकसान पहुंचता है। सलीम सारंग ने कहा, “हमने हमेशा अपने मुस्लिम भाइयों और बहनों सहित सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास किया है। मैं नेताओं से आग्रह करता हूं कि वे तुरंत ऐसी टिप्पणियां करना बंद करें। वरना हमारे मुस्लिम समर्थकों का पार्टी से विश्वास उठ जाएगा।”

एक मुस्लिम एनसीपी नेता ने अजित पवार के रुख से सहानुभूति जताई। नाम न बताने की शर्त पर नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “यह कठिन समय है। मुस्लिम वोट बैंक को खुश करना राजनीतिक रूप से जोखिम भरा है। लेकिन कम से कम अजित पवार यह दिखावा तो कर रहे हैं कि उन्हें परवाह है। ऐसा कुछ जो सत्ताधारी दल का कोई अन्य नेता करने की कोशिश भी नहीं कर रहा है। हो सकता है कि इससे ज़मीनी हालात न बदलें, लेकिन वह फिर भी एक बड़ा जोखिम उठा रहे हैं।”