Ajit Pawar Delhi Elections 2025: बीजेपी दिल्ली का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए जोर-शोर से तैयारियां कर रही है और राजधानी में सरकार बनाने के बड़े-बड़े दावे भी कर रही है लेकिन उसे अपने ही सहयोगी दलों और नेताओं की ओर से लगातार झटके लग रहे हैं। ताजा झटका यह है कि महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पार्टी एनसीपी दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कुछ और सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
खबरों के मुताबिक, अजित पवार की अगुवाई वाला एनसीपी गुट दिल्ली में 25 से 30 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करने जा रहा है। कुछ दिन पहले ही पार्टी ने 11 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी की थी।
बताना होगा कि अजित पवार महाराष्ट्र की महायुति सरकार में बीजेपी के अहम सहयोगी हैं। कहा जा रहा है कि एनसीपी बीजेपी से कुछ सीटें हासिल करना चाहती है। इसके साथ ही वह महाराष्ट्र के बाहर भी अपना विस्तार करने की कोशिश में है। एनसीपी पहले भी महाराष्ट्र से बाहर निकल कर कई राज्यों में चुनाव लड़ चुकी है लेकिन तब एनसीपी का विभाजन नहीं हुआ था। जुलाई, 2023 में शरद पवार और अजित पवार के रास्ते अलग-अलग हो गए थे।
अठावले की पार्टी ने भी उतारे उम्मीदवार
बीते ही दिन महाराष्ट्र में बीजेपी की एक और सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की ओर से भी दिल्ली में 15 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का इलाज किया गया था। इस पार्टी के मुखिया मोदी सरकार में मंत्री रामदास अठावले हैं।
टिकट कटने से नाराज हुए दिग्गज विधायक
बीजेपी को न सिर्फ अपने सहयोगी दलों बल्कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने पुराने नेताओं की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली की करावल नगर विधानसभा सीट से कपिल मिश्रा को टिकट मिलने के बाद मौजूदा विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने इसका पुरजोर विरोध किया है। मोहन सिंह पांच बार विधायक रहे हैं और उन्होंने कहा है कि वह हर हाल में विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।
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दिल्ली में चुनाव के कार्यक्रम का ऐलान हो चुका है। दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं। इन सभी सीटों पर 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे।
दिल्ली में पहली बार चुनाव 1993 में हुए थे तब बीजेपी ने सरकार बनाई थी लेकिन 1998 में कांग्रेस ने उसे सत्ता से हटा दिया था। 1998 से 2013 तक यहां मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ही लगातार जीत दर्ज करती रही। 2013 में आम आदमी पार्टी ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और तब स्पष्ट बहुमत न मिलने पर कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चलाई लेकिन यह सरकार 49 दिन में गिर गई। पिछले दो चुनाव (2015 और 2020) में आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की और बीजेपी सिर्फ 3 और 8 सीटें ही जीत सकी।
कांग्रेस का पिछले दो चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया और वह एक भी सीट अपनी झोली में नहीं डाल सकी।
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