Madhya Pradesh Road Construction: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी ने मध्य प्रदेश में ग्रामीण सड़क निर्माण के लिए बिटुमिन खरीद में 414.94 करोड़ रुपये की संदिग्ध धोखाधड़ी की तरफ इशारा किया है। राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के क्रियान्वयन में बड़ी अनियमितताएं होने का आरोप लगाया है। 2021-22 से पीएमजीएसवाई गतिविधियों को कवर करने वाले एक ऑडिट पर सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के 49 जिलों में 75 पीआईयू में से 71 में पीएमजीएसवाई सड़कों के निर्माण में शामिल ठेकेदारों ने बिटुमिन खरीद के लिए कथित तौर पर फर्जी और डुप्लिकेट चालान जमा किए।
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया, हमने 75 में से 71 पीआईयू और 51 में से 49 जिलों में पीएमजीएसवाई सड़कों के निर्माण के लिए बिटुमेन की खरीद में 414.94 करोड़ रुपये की संदिग्ध धोखाधड़ी का पता लगाया है। ठेकेदारों ने सरकारी रिफाइनरियों के फर्जी चालान पेश किए। ठेकेदारों ने एक ही चालान दो या तीन बार पेश किया और निजी रिफाइनरियों से बिटुमेन खरीदा। विभाग बिटुमेन के चालान की जांच करने के लिए तंत्र निर्धारित करने में विफल रहा।’
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 9903 चालानों की सही से जांच करने से पता चला कि उनमें से 3,389 चालान जाली थे। इनकी कीमत करीब 320.75 करोड़ रुपये थी। इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 0.80 लाख मीट्रिक टन बिटुमेन की खरीद के सबूत के तौर पर पेश किए गए ये चालान “रिफाइनरियों द्वारा जारी नहीं किए गए थे।”
CAG की रिपोर्ट चुनाव से पहले सार्वजनिक क्यों नहीं की जा सकती?
ठेकेदारों ने गलत चालान पेश किए
सीएजी ने कहा कि ठेकेदारों ने गलत तारीखों वाले चालान पेश किए और ट्रांसपोर्टर या विक्रेता की प्रतियों का दोबारा से इस्तेमाल किया। कई प्रोजेक्ट में कुछ चालानों का दोबारा इस्तेमाल किया गया। इसकी वजह से गैर-मौजूद बिटुमेन खरीद के लिए 32.47 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। इतना ही नहीं सीएजी ने कहा कि संबंधित विभाग ने गलत कागजात पेश करने वाले दोषी ठेकेदारों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की और ना ही उनके टेंडरों को रद्द किया है।
धोखाधड़ी को रोका जा सकता था- सीएजी
बता दें कि पीएमजीएसवाई एक केंद्र सरकार की योजना है। इसका मकसद गरीबी कम करने की रणनीति के तहत बस्तियों को कनेक्टिविटी देना है। राज्य में पीएमजीएसवाई को लागू करने के लिए जिम्मेदार मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (MPRRDA) ने अपने तौर-तरीकों का बचाव करते हुए कहा कि यह इंडिपेंडेंट मॉनिटर और एनएबीएल लैब गुणवत्ता और मात्रा तय करती हैं। हालांकि, सीएजी ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि चालान के वैरिफिकेशन में सही सावधानी बरतने से धोखाधड़ी को रोका जा सकता था। CAG रिपोर्ट में देरी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने AAP सरकार को लगाई फटकार पढ़ें पूरी खबर