कश्मीरी पंडितों के दर्द को लेकर विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी फिल्म ‘द कश्मीरी फाइल्स’ 100 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार कर चुकी है। इसकी कमाई में हर दिन वृद्धि हो रही है। इस फिल्म की अपार सफलता के बाद और भी कई मुद्दों पर फिल्में बनाने की वकालत शुरू हो गई है। वहीं भाजपा और कांग्रेस के बीच इसको लेकर सियासत भी देखी जा रही है।

इस बीच मध्य प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी नियाज खान ने मांग की है कि मुसलमानों पर हुई घटनाओं को लेकर भी फिल्में बनें। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, “कश्मीर फाइल ब्राह्मणों का दर्द दिखाती है। उन्हें पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में सुरक्षित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए।”

उन्होंने आगे लिखा, “फिल्म के निर्माता को कई अन्य राज्यों में बड़ी संख्या में हुई मुसलमानों की हत्याओं को भी दिखाने के लिए एक फिल्म बनानी चाहिए। मुसलमान कीड़े नहीं बल्कि इंसान है और देश के नागरिक भी हैं।

एक और ट्वीट में नियाज खान ने लिखा, “अलग-अलग मौकों पर मुसलमानों के हुए नरसंहार को दिखाने के लिए एक किताब लिखने की सोच रहा था ताकि कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्में कुछ निर्माता द्वारा बनाई जा सके, ताकि अल्पसंख्यकों के दर्द और पीड़ा को भारतीयों के सामने लाया जा सके।”

बता दें कि नियाज खान IAS अधिकारी के साथ लेखक भी हैं। उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर नॉवेल और आश्रम वेबसीरीज के डायरेक्टर प्रकाश झा पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनकी लिखी कहानी चुराई है। इसको लेकर वो काफी चर्चा में भी रहे।

वहीं नियाज खान के ट्वीट के बाद मध्य प्रदेश में भोपाल की हुज़ूर विधानसभा भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कई ट्वीट में आईएएस अधिकारी को जवाब दिया है। उन्होंने लिखा, “चलिए 30 साल बाद ही सही पर आपने माना तो कि कश्मीरी पंडितों-हिंदुओं के साथ अनान्य, अत्याचार, बर्बरता हुई। 30 साल बाद आपने माना तो इस्लामिक कट्टरवाद, जिहाद के लिए कैसे हिंदुओं को मिट्टी में मिलाने की सोच का उदाहरण 19 जनवरी 1990 को पेश किया गया।”

शर्मा ने लिखा, “भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहते हुए सिर्फ़ एक वर्ग के प्रति आपकी चिंता व्यक्त करना कहीं न कहीं संघ लोक सेवा आयोग के आचरण नियमों के विपरीत है फिर भी आपको किसी वर्ग का रहनुमा बनने का शौक़ है तो IAS की नौकरी छोड़ कर मैदान में आइए।”

भाजपा विधायक ने लिखा, मैं मध्यप्रदेश सरकार से भी आग्रह करता हूं कि इनके कथन पर स्पष्टीकरण लिया जाए और पूछा जाए कि देश में ऐसा कौन सा प्रांत है जहां मुसलमानों को मारा जा रहा है। एक और ट्वीट में रामेश्वर शर्मा ने लिखा, “एक बात और नियाज़ खान जी…मुस्लिमों के लिए कीड़े मकोड़े जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें क्योंकि भारत में सच्चे देशभक्त APJ अब्दुल कलाम साहब, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ां, जैसे भी हुए हैं।”

बता दें कि नियाज खान का कहना है कि उन्हें 17 साल की नौकरी में 10 जिलों में 19 बार ट्रांसफर झेलना पड़ा है। वो मानते हैं कि खान सरनेम होने के कारण उनके साथ ऐसा व्यवहार हुआ।