मध्य प्रदेश सरकार में मंत्रीमंडल का विस्तार होना है लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे को 9 सीटें देने का वादा किया गया है, जिसके चलते भाजपा के लिए एमपी में कैबिनेट विस्तार सिरदर्द साबित हो रहा है। इसके साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान और पार्टी संगठन के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, जिसके चलते भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।
हालिया राज्यसभा चुनाव में पार्टी के सभी विधायकों ने भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवारों को वोट नहीं दिया था, जिसके चलते पार्टी नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान से थोड़ा नाराज है। स्थिति ये है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने करीबी नेताओं को भी मंत्रीमंडल में जगह नहीं दिला पा रहे हैं।
बीते दो दिनों से शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में थे और यहां पार्टी के शीर्ष नेताओं जिनमें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, पार्टी महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे थे। मंगलवार की सुबह ही वह भोपाल के लिए निकले हैं।
मध्य प्रदेश में मंगलवार को ही कैबिनेट विस्तार होने की संभावना है। एमपी के राज्यपाल लालजी टंडन के बीमार होने के चलते यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन को एमपी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। वह भी मंगलवार को एमपी पहुंच रही हैं। ऐसे में संभावना है कि मंगलवार को ही भाजपा सरकार अपने कैबिनेट का विस्तार कर सकती है।
सूत्रों के अनुसार, ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने खेमे के लिए 11 मंत्रीपद मांग रहे हैं। सिंधिया के करीबी दो विधायक पहले ही मंत्री बनाए जा चुके हैं। अब ताजा मंत्रीमंडल विस्तार में 9 और सीटें सिंधिया समर्थकों को दिए जाने की मांग हो रही है। सरकार ने 35 मंत्रीपद की मंजूरी दी है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी और सीएम शिवराज सिंह चौहान कुछ पद खाली रखना चाहते हैं। ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी मंत्री पद मिलना मुश्किल नजर आ रहा है।
भाजपा के एक सांसद का कहना है कि पार्टी को वो देना पड़ेगा, जो सिंधिया कैंप ने मांगा है क्योंकि एमपी में भाजपा की सत्ता में वापसी सिंधिया की वजह से ही हुई है। भाजपा नेता के अनुसार, एमपी में मंत्रीपद की 40-45 फीसदी सीटें सिंधिया खेमे को मिल सकती हैं। भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता के अनुसार, अब पूरा फोकस ग्वालियर-चंबल बेल्ट पर है, जहां की 24 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। सिंधिया खेमे के अधिकतर विधायक इसी इलाके से ताल्लुक रखते हैं।