संसद के विशेष सत्र से पहले कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के पत्र पर सरकार की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने लिखा है कि श्रीमती सोनिया गांधी शायद परंपराओं से अवगत नहीं हैं, सरकार सत्र शुरू होने के बाद ही विपक्ष के साथ एजेंडे पर चर्चा करती है। देश का नाम बदलकर भारत करने की चर्चा पर मचे राजनीतिक हंगामे के बीच कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। जिसमें संसद के विशेष सत्र के एजेंडे को साझा करने की मांग की गई थी।

इस बात पर जोर देते हुए कि18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र के लिए किसी एजेंडे की घोषणा नहीं की गई है उन्होंने नौ विषयों को सूचीबद्ध किया और उन पर चर्चा की मांग की थी। सोनिया गांधी ने पत्र में केंद्र और राज्यों के संबंध, सांप्रदायिकता, मणिपुर की स्थिति और चीन के साथ सीमा संघर्ष पर विशेष सत्र में बात करने की मांग की थी। 

केंद्रीय मंत्री ने दिया जवाब 

संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोनिया गांधी के पत्र का जवाब देते हुए लिखा, “परंपरा का पालन करते हुए सत्र बुलाया गया है, शायद आप परंपरा पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। संसद सत्र बुलाने से पहले कभी भी राजनीतिक दलों से चर्चा नहीं की जाती है और न ही मुद्दों पर चर्चा की जाती है। सत्र बुलाने के बाद और उससे पहले सत्र की शुरुआत में सभी दलों के नेताओं की बैठक होती है जिसमें संसद में उठ रहे मुद्दों पर चर्चा होती है।” इससे पहले कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने भी सवा उठाया था कि सरकार क्यों बिना विपक्ष से चर्चा किए बिना सत्र बुला रही है। 

देश का नाम बदले जाने की चर्चा 

विशेष सत्र के एजेंडे पर सस्पेंस के कारण देश का नाम बदलने की अटकलें तेज हो गई हैं। इसका कारण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का G20 नेताओं को निमंत्रण था “भारत की राष्ट्रपति” लिखा हुआ था। इसके बाद विपक्ष ने संविधान के आर्टिकल-1 का हवाला देते हुए अपनी बात कही। 

आज एक्स पर एक पोस्ट वायरल हुई जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान “INDIA” नाम पर दावा कर सकता है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर अलग-अलग तरह की बातें कर रहे हैं।