कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अमेठी से किशोरीलाल शर्मा (केएल शर्मा) तो वहीं रायबरेली से राहुल गांधी कांग्रेस उम्मीदवार हैं। इस बीच केएल शर्मा को लेकर खूब चर्चा हो रही है। 63 वर्षीय केएल शर्मा कई वर्षों से गांधी परिवार के लिए अमेठी और रायबरेली से कैंपेन मैनेज कर रहे हैं। केएल शर्मा अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं।
राजीव गांधी के भी कैंपेन मेनेजर रह चुके हैं केएल शर्मा
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए केएल शर्मा ने कांग्रेस के साथ अपने लंबे जुड़ाव को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “मैंने 40 वर्षों तक इस क्षेत्र की सेवा की है और अमेठी को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। मैं 1983 में राजीव (गांधी) जी के लिए काम करने के लिए युवा कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में यहां आया था और तब से यहीं हूं। 1981 को छोड़कर मैंने राजीव जी के बाकी सभी चुनावों का प्रबंधन किया।”
20 साल की उम्र में आ गए थे अमेठी
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले केएल शर्मा को पहली बार राजीव गांधी द्वारा शुरू किए गए एक कार्यक्रम के तहत चुना गया था, जिन्होंने 1981 में अमेठी से चुनावी शुरुआत की थी। तब केएल शर्मा लगभग 20 साल के थे। उन्हें शुरू में अमेठी लोकसभा सीट के तहत तिलोई विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया था।
धीरे-धीरे केएल शर्मा राजीव गांधी की टीम का हिस्सा बन गए क्योंकि उन्होंने 1989 और फिर 1991 में फिर से अमेठी से चुनाव लड़ा। राजीव की हत्या के बाद भी केएल शर्मा की भूमिका वहीं रही। इस दौरान कैप्टन सतीश शर्मा ने अमेठी से चुनाव लड़ा।
1999 के चुनाव में सोनिया गांधी के चुनावी मैदान में उतरने के बाद केएल शर्मा की भूमिका का विस्तार हुआ। जब 2004 में सोनिया रायबरेली चली गईं और राहुल गांधी ने अमेठी से राजनीति में प्रवेश किया, तो केएल शर्मा ने दोनों लोकसभा सीटों को मैनेज करना शुरू किया।
2014 से शर्मा ने केवल रायबरेली पर ध्यान दिया
2004 और 2009 में केएल शर्मा राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए अमेठी और रायबरेली सीटों पर बैकरूम मैन थे। हालांकि सूत्रों के मुताबिक 2014 में राहुल ने अमेठी में अपनी टीम बनाने की इच्छा जताई थी। इसके बाद केएल शर्मा ने मुख्य रूप से अपना ध्यान रायबरेली पर केंद्रित किया और यहीं से राहुल का अमेठी में डाउनफॉल भी शुरू हुआ।
अमेठी में एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिया कि 2019 में भाजपा नेता स्मृति ईरानी से राहुल गांधी की हार को केएल शर्मा की भूमिका में बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता। केएल शर्मा की प्रशंसा करते हुए नेता ने कहा, “सच्चाई यह है कि जब तक केएल शर्मा चुनाव का प्रबंधन कर रहे थे, तब तक अमेठी में कांग्रेस की जीत का अंतर बहुत अधिक था और जब वह चले गए तो 2 लाख से भी कम का हो गया। हालांकि अमेठी में हार के अन्य कारण भी थे। साथ ही रायबरेली (जिसका प्रबंधन केएल शर्मा ने जारी रखा) में पार्टी का दबदबा बरकरार रहा।