लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। सभी राजनीतिक दल चुनावी अभियान में जुट चुके हैं। जहां ग्राउंड पर पहुंच कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास हो रहा है वहीं वोट हासिल करने का खास टूल अब सोशल मीडिया को बना दिया गया है। जहां व्हाट्सएप और मैसेजिंग प्लेटफॉर्मस के जरिए राजनीतिक दल आम लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं।
कांग्रेस-बीजेपी ने शुरू किया सोशल मीडिया पर अभियान
बीजेपी मतदाताओं को व्हाट्सएप पर ‘प्रधानमंत्री का पत्र’ भेजकर जुड़ने की कोशिश कर रही है – जिसमें मोदी सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है और मतदाताओं से प्रतिक्रिया मांगी गई है। पार्टी ने My First Vote For Modi वेबसाइट भी लॉन्च कर दी है। इस वेबसाइट पर विजिटर्स बीजेपी के 10 साल में किए गए कामों को जान पाएंगे। दूसरी ओर कांग्रेस ने ‘राहुल गांधी व्हाट्सएप ग्रुप’ बनाया है जिसमें वह लोगों से बातचीत करते हैं और उनके सवालों का जवाब देते हैं।
ऐसा माना जाता है कि राजनीतिक दल सोशल मीडिया के महत्व को ध्यान में रखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ना चाहते हैं। जिस भी राजनीतिक दल के बैनर तले ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप हों, वह मतदाताओं के साथ तेजी से और बेहतर तरीके से संवाद कर सकता है। चुनाव विश्लेषक और टिप्पणीकार अमिताभ तिवारी ने कहते हैं, “इससे राजनीतिक दलों को आसानी से आम लोगों तक पहुंचने में मदद मिलती है और यह काफी प्रभावी भी होता है।” तिवारी के मुताबिक फेसबुक पर विज्ञापनों के रहते क्रेज अब कम हुआ है जबकि यह एक वक्त में सबसे पसंदीदा मंच माना जाता था। फिलहाल इंस्टाग्राम पर भी काफी राजनीतिक कंटेंट सामने आने लगा।
किस पार्टी ने किया कितना खर्च?
एनडीटीवी ने चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बताया है कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान मीडिया विज्ञापन (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक, बल्क एसएमएस, केबल वेबसाइट, टीवी चैनल, आदि) पर कुल 325 करोड़ रुपये खर्च किए थे। कई राजनीतिक दल अब मतदाताओं से जुड़ने के लिए अपने चुनाव अभियानों के लिए डिजिटल-फर्स्ट रणनीति अपना रहे हैं।