Lok Sabha Chunav Karnataka Ground Report: कर्नाटक में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तीसरे फेज में 14 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इसको लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार और राज्य की कांग्रेस शासित सिद्धारमैया सरकार लगातार अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने की कोशिश कर रही है। सभी आधी आबादी और महिला वोटर्स की अहमियत समझते है। इसीलिए पीएम मोदी ने अपने रैलियों में महिला सुरक्षा से लेकर स्त्री धन और मंगलसूत्र तक का जिक्र करके राज्य की महिलाओं को बीजेपी के पक्ष में लुभाने का प्रयास किया। दूसरी ओर कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार भी अपने महिला फोकस योजनाओं के जरिए यह उम्मीद कर रही है, कि महिलाओं की एक बड़ी आबादी इस बार उसके हक में ईवीएम का बटन दबा सकती है।
कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार की महिलाओं के लिए ऐसी एक योजना मुफ्त बस यात्रा भी है, जिसका लाभ आधी आबादी को मिल रहा है लेकिन आखिर यह मुफ्त बस यात्रा जमीन पर कितनी उतर पाई है और महिलाओं के लिए अभी क्या-क्या चैलेंज हैं, इसे समझना बेहद ही अहम है।
ये महिलाएं जो पहले हावेरी से बेलगावी के येल्लापुर गांव तक आती हैं, और यहां एक सौंदात्ती येल्लम्मा नाम के तीर्थस्थल पर आती है, जो कि सदियो पुरानी देवदासी प्रथा का हिस्सा है। यहां पहले ये महिलाओं अपने पतियों के साथ उनकी मोटरसाइकिल पर बैठकर आती थी, लेकिन अब मुफ्त बस यात्रा की योजना के चलते बस से आती हैं।
कैसे बढ़ीं महिलाओं की सहूलियतें
अपने पुराने और अब के अनुभवों को लेकर आयशा कहती हैं कि वह बाइक का सफर बेहद ही खराब था, उनके पति वहीं गाड़ी रोकते थे, जहां उनका मन होता था। वहीं बारी जब मंदिर के मेले में रुकने की आती थी तो वे चलते रहने को कहते थे। वहीं अब बस में हम सब महिलाएं एक साथ मस्ती करते हुए सफर करते हैं। इसी तरह उनकी साथी मंजुला भी बस यात्रा को लेकर अपने अच्छे एक्सपीरियंस शेयर करती हैं।
अब तक जारी हो चुके हैं 198 करोड़ से ज्यादा टिकट
मंजुला और उनकी साथी खेत में मजदूरी का काम करती है और उन्हें इसके बदले 200 रुपये की दिहाड़ी मिलती है। यह योजना 11 जून 2023 से शुरू हुई थी और अब तक करीब 198.57 करोड़ बस टिकट महिलाओं के लिए जारी किए जा चुके हैं। कर्नाटक से पहले दिल्ली, तमिलनाडु, तेलंगाना, और पंजाब में भी महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की योजना लागू है।
कर्नाटक में बस से सफर करती है 60 प्रतिशत महिलाएं
कर्नाटक की योजना की खास बात यह है कि यह काफी विराट है। इसके लिए राज्य सरकार ने 5000 करोड़ रुपये का है। इसमें राज्य की 20 हजार सरकारी और गैर सरकारी बसों में महिलाएं और लड़कियां यात्रा कर सकती हैं। इस योजना का नाम शक्ति मुफ्त टिकट योजना है। शक्ति के लॉन्च के बाद से कर्नाटक के चार बस निगमों में 1.10 करोड़ दैनिक यात्रियों के साथ यात्रियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जिनमें से लगभग 60 प्रतिशत (61.50 लाख) महिलाएं हैं।
कांग्रेस की गारंटी पर उठे थे सवाल
यह ऐसा सियासी दौर है कि जब चुनावों के बीच सभी राजनीतिक दल महिला वोटर्स को सीधे तौर पर लुभाने के प्रयास कर रहे हैं। कर्नाटक की शक्ति बस योजना के साथ ही काफी चर्चा यहां की गृह लक्ष्मी योजना की भी है, जिसके जरिए बीपीएल, एपीएल और अंत्योदय परिवारों की महिलाओं को हर महीने 2000 रुपये मिलते हैं। जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने हाल ही में कांग्रेस सरकार की गारंटियों को लेकर यह आरोप लगाया कि वह महिलाओं को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। वहीं बाद में उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी थी।
‘शक्ति’ साबित होगी तुरुप का इक्का?
कर्नाटक के उत्तरी हिस्से की 14 सीटों पर 7 मई को वोटिंग हैं। बीजेपी ने 28 सीटों के साथ 2019 में बेहतरीन बढ़त बनाई थी। 2023 में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पार्टी को उम्मीद है कि उसके योजनाओं के लाभार्थी 2024 के चुनावों में उसके लिए तुरप का इक्का साबित होने वाले हैं।
परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी शक्ति योजना को सरकार की गारंटियों में सबसे पॉपुलर बताते हैं। उन्होंने कहा कि अब हमारी बसों में यात्रा करने वालों में से लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। हमारे आंतरिक सर्वे से पता चलता है कि 87 प्रतिशत लाभार्थी कांग्रेस पार्टी को वोट देंगे। हमारी योजनाओं ने सभी को प्रभावित किया है।
बीजेपी ने योजनाओं को बताया जुमला
दूसरी ओर कर्नाटक बीजेपी के प्रवक्ता एमजी महेश मुफ्त बस यात्रा और अन्य योजनाओं को खारिज करते हुए कहते हैं कि ये सभी जुमले हैं। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस शक्ति योजना का चुनाव पर कोई प्रभाव पड़ेगा। शुरुआती दिनों में महिलाएं उत्सुकतावश मंदिरों में उत्साहपूर्वक जाती होंगी, लेकिन अब वे भीड़ को लेकर परेशान दिखती हैं। आपको यह भी याद रखना चाहिए कि यह एक राष्ट्रीय चुनाव है और इसकी कहानी बिल्कुल अलग है और चुनाव के मुद्दे हिंदुत्व, राष्ट्रीय सुरक्षा हैं। सरकार कैसे हाशिए पर रहने वाले तत्वों का समर्थन कर रही है।
भीड़ बन गई महिलाओं के लिए मुश्किल
ग्राउंड रिपोर्ट में यह देखने को मिला है कि बस स्टेशनों के पास बसें जब पहुंचती हैं तो महिलाओं के बीच चढ़ने को लेकर काफी जद्दोजहद होती है। महिलाएं अपने बच्चों को खिड़की के जरिए सीट पर बिठाने की कोशिश करती है। कोई अपने हैंडबैंग सीट पर रख देता है, तो कोई तौलिया, जिससे उन्हें आसानी से सीट मिल जाए। इसको लेकर ही 42 वर्षीय अक्कम्मा खिड़की से बाहर निकले हुए पैरों की एक जोड़ी की ओर इशारा करते हुए चिल्लाती हैं कि क्या इसीलिए टिकट मुफ्त हैं जो कि सुरक्षा के लिए खतरा है। टिकट मुफ़्त क्यों होने चाहिए? मैं भुगतान करके जाना पसंद करूंगी। हम सौंदत्ती के लिए बस पाने की उम्मीद में यहां एक घंटे से खड़े हैं, लेकिन वहां पैर रखने का कोई रास्ता नहीं है।
पुरुषों ने बताई अपनी समस्या
यह बताता है कि एक तरफ जहां महिलाएं इस योजना के जरिए मुफ्त में सफर तो कर पा रही है लेकिन उनकी मुश्किलें भीड़ के चलते ज्यादा बढ़ गई हैं। ऐसे ही शख्स गाडिगेप्पा गौड़ा महिलाओं की भीड़ को लेकर कहते हैं कि महिलाएं ऐसे यात्रा कतर रही हैं, मानों उन पर कोई भूत सवार हो। यह बिल्कुल ही गलत है। हम पुरुषों को बसों में जगह ही नहीं मिलती है। कम से कम 50 प्रतिशत सीटें तो हमारे लिए होनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं आपको बताएंगी कि यह एक शानदार योजना हैं लेकिन जो शिक्षित हैं वह आपको यह भी समझाएंगी कि आखिरी यह कितनी बड़ी बर्बादी है।