लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर इंडिया गठबंधन के बीच बातचीत जारी है। अलग-अलग राज्यों में सभी विपक्षी दल जल्द ही सीटों को बंटवारा कर लेंगे। खास तौर पर बात अगर बिहार की हो तो यहां भी कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू और लेफ्ट पार्टियों के बीच जल्द इस फोर्मूले पर बातचीत पूरी होने की संभावना है।
कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि वह आम चुनाव से पहले इस मुद्दे पर किसी तरह का विवाद नहीं चाहते इसलिए सभी लोकल पार्टियों की सहमति के साथ ही फैसले होने वाले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बिहार कांग्रेस अध्यक्ष ने भी एक फॉर्मूला सामने रखा है, जिसके तहत लग रहा है कि जेडीयू के साथ कांग्रेस की बात थोड़ी तल्ख हो सकती है।
क्या है पेचीदगी?
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष चाहते हैं कि पिछली बार कांग्रेस ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था तो इस बार भी पार्टी के पास इतने ही नंबर हों इससे कम ना हों। इसकी वजह यह भी है कि पिछली बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी पांच, जीतन राम मांझी की पार्टी तीन और मुकेश सहनी की पार्टी तीन सीटों पर चुनाव लड़ी थी और यह तीनों महागठबंधन का हिस्सा थे। यानी कुल 11 सीटों पर ये तीनों क्षेत्रीय पार्टी चुनाव लड़ी थी. इस बार यह तीनों पार्टियां इंडिया अलायंस में नहीं हैं।
ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि तकरार की कोई खास वजह नहीं है। लेकिन यहां दिक्कत क्या है? इसका जवाब यह है कि जेडीयू जिसके 16 सांसद हैं वह अब इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। यहां ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा की 40 सीटों में से कांग्रेस को 9 सीटें देने के लिए जेडीयू और आरजेडी तैयार होती हैं या नहीं यह एक पेचीदा सवाल है।
सूत्रों की मानें तो जेडीयू के 17 सीटों पर चुनाव लड़ने के बारे चर्चा है, उस वक्त पार्टी एनडीए का हिस्सा थी इसलिए इस बार भी वह 17 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को नहीं मानेगी। अब देखना यह कि बाकी दलों के बीच सीट बंटवारा किस तरह हो सकता है।