Lok Sabha Elections: भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लेकर एक कदम आगे बढ़ा दिया है। सत्तारूढ़ भाजपा विभिन्न राजनीतिक दलों, विशेषकर कांग्रेस से कई नेताओं को शामिल करने के लिए तैयार है। सूत्रों ने कहा कि जहां इन नए लोगों को शामिल पार्टी को मजबूत करने का उद्देश्य है। वहीं बीजेपी अपने पाले में आने के लिए नेताओं का चयन करते वक्त विपक्ष को कमजोर करनी की भी कोशिश करेगी।
बीजेपी के एक नेता ने कहा, ‘भाजपा उन क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत करने के लिए नए शामिल लोगों का स्वागत कर रही है जहां यह चुनावी और वैचारिक रूप से कमजोर है। चुनावों से पहले इस तरह के शामिल होने के कार्यक्रम पूरे चुनावी माहौल को और बेहतर बना देंगे। लेकिन इस बार, मुख्य लक्ष्य कांग्रेस होगी और प्रमुख प्रभावशाली नेताओं के बाहर जाने से वह कांग्रेस इन मुख्य क्षेत्रों में कमजोर हो जाएगी।’
नए नेताओं के बीजेपी में शामिल करने को लेकर भाजपा नेतृत्व पहले ही एक हाई लेवल पैनल का गठन कर चुकी है। जिसको ज्वाइनिंग कमेटी कहा जाता है। इस कमेटी में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, राष्ट्रीय पार्टी महासचिव विनोद तावड़े और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष शामिल हैं। यह नेता संभावित नेताओं की स्क्रीनिंग करेंगे और उस पर फैसला लेंगे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों के प्रमुख आलोचक हैं। आधिकारिक तौर पर नहीं, लेकिन उनके भाषण से ऐसा ही लगता है कि विपक्ष की तरफ से राहुल खुद को पीएम पद का उम्मीदवार पेश कर रहे हैं। वो मोदी के खिलाफ एक प्रमुख विपक्षी चेहरे के रूप में उभर रहे हैं।
ऐसे में भाजपा की रणनीति भी राहुल गांधी को राजनीतिक रूप से कमजोर करने और उनकी पार्टी में उनके प्रभाव को कम करने की रही है।
हाल के वर्षों में भाजपा ने पहले ही राहुल की टीम से कई युवा नेताओं को शामिल किया है और उन्हें प्रमुख पदों से नवाजा है। इस लिस्ट में प्रमुख रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो अब केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद, और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह शामिल हैं।
हालांकि, भाजपा की ओर से सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा को भी शामिल करने की कुछ कोशिशें की गईं, लेकिन बात नहीं बनी, हालांकि देवड़ा अंततः पिछले रविवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए, जो महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी है। कांग्रेस नेतृत्व पायलट को बनाए रखने में कामयाब रहा, और उन्हें एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) के महासचिव बनाया।
एक बीजेपी नेता ने कहा, ”इन नेताओं के कांग्रेस से बाहर निकलने का अब राहुल गांधी पर बुरा असर पड़ेगा… इससे उनकी विफलताओं पर प्रकाश डाला जाएगा।”
अपने पूर्व की रणनीति में बीजेपी ने अपने कई मौजूदा प्रमुख शामिल लोगों को प्रमुख जिम्मेदारी दी है। जिनमें कई वर्तमान सीएम – हिमंत बिस्वा सरमा (असम), एन बीरेन सिंह (मणिपुर) और पेमा खांडू (अरुणाचल प्रदेश) और पूर्व सीएम – नारायण राणे शामिल हैं। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह (पंजाब), विजय बहुगुणा (उत्तराखंड), एस एम कृष्णा (कर्नाटक) और दिगंबर कामत (गोवा) का भी नाम शामिल है।
इसके अलावा, ऐसे समय में जब भाजपा अपने समर्थन आधार का विस्तार करने के लिए केरल में ईसाइयों को लुभाने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने के जे अल्फोंस (जो केंद्रीय मंत्री बने), टॉम वडक्कन और अनिल एंटनी सहित समुदाय के कुछ प्रमुख चेहरों को शामिल किया है। अनिल एंटनी कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी के बेटे हैं।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि उसके नेता कांग्रेस खेमे में शामिल होने वाले कई संभावित लोगों के संपर्क में हैं, जिनमें से कुछ हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान में गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। एक बीजेपी नेता ने कहा, ”कुछ लोग इसी महीने बीजेपी में शामिल होंगे और कुछ चुनाव के करीब आएंगे।”
नेता ने कहा, ‘अभी तक किसी भी विपक्षी दल से नेताओं को लेने के लिए कोई विशेष मानदंड नहीं है, लेकिन किसी को को लाना होगा तो उसके बाहर निकलने से उसके पूर्ववर्ती संगठन को कमजोर करते हुए भाजपा के पक्ष में एक दृष्टिकोण बनाना चाहिए।’
उन्होंने पिछले साल भाजपा में शामिल हुए अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी का उदाहरण दिया। जिनके बारे में उन्होंने कहा कि उनका राज्य में कोई बड़ा प्रभाव नहीं है, लेकिन वे रेड्डी समुदाय के अन्य लोगों अपने नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।