Rahul Gandhi Lok Sabha Elections 2024: 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई इंडिया गठबंधन (India Alliance) की महारैली के ठीक एक दिन बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijyan) ने कहा था कांग्रेस को बीजेपी (BJP) से मुकाबला करना चाहिए और वह केरल में लेफ्ट से लड़ रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी के खिलाफ हुई रैली में एक मंच पर आने के एक दिन बाद ही लेफ्ट द्वारा कांग्रेस (Left vs Congress) पर हुए इस हमले ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। इसकी वजह यह है कि राहुल गांधी केरल की ही वायनाड सीट से फिर चुनावी मैदान में है।
साल 2019 में जब कांग्रेस को यह आभास हुआ था कि राहुल गांधी, गांधी परिवार की परंपरागत लोकसभा सीट अमेठी से चुनाव हार सकते हैं, तो पार्टी ने अमेठी के अलावा राहुल को वायनाड से भी चुनाव लड़वाया था। केरल की यह सीट उस समय पार्टी के लिए सेफ मानी जाती थी लेकिन 5 साल बाद क्या वह वायनाड सीट राहुल और कांग्रेस के लिए सेफ रह गई हैं? यह एक बड़ा सवाल है।
वायनाड की सीट सेफ है या नहीं, यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि इंडिया गठबंधन के तहत साथ मंच साझा करने वाली CPI ने राहुल गांधी की ही वायनाड सीट पर एक मजबूत उम्मीदवार खड़ा किया है। पार्टी ने सीपीआई महासचिव डी राजा की पत्नी एनी राजा को सियासी मैदान में उतारा है और खास जनाधार न होने के बावजूद बीजेपी ने यहां से केरल प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन को उतार दिया है। ऐसे में इस सीट पर मामला काफी पेचीदा हो गया है।
अमेठी से लड़ने का चैलेंज दे रही बीजेपी
इन सबसे इतर राहुल को लेकर उनकी पुरानी संसदीय सीट अमेठी में भी सियासी पारा चढ़ा है क्योंकि मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी समेत पूरी बीजेपी राहुल को चैलेंज दे रही है कि इस बार राहुल अमेठी से लड़ेंगे या नहीं? अभी तक अमेठी से राहुल या किसी अन्य प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं हुआ है। पिछले चुनाव में स्मृति ने राहुल को 50 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। अमेठी और वायनाड के बीच कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम तो रख रही है लेकिन उसके गठबंधन के ही सहयोगी दल ने उसकी मुश्किलें बढ़ा रखी हैं।
लेफ्ट ही बन रहा राहुल की राह का रोड़ा
लोकसभा चुनाव के लिए वायनाड से खड़े हुए राहुल गांधी ने नामांकन कर दिया है। बीजेपी कैंडिडेट के सुरेंद्रन ने भी स्मृति इरानी की मौजूदगी में अपना नामांकन किया लेकिन मुख्य चुनौती बीजेपी से ज्यादा लेफ्ट है। लेफ्ट ने वायनाड की सीट पर एक खास कैंपेन चलाया है कि राहुल वायनाड के साथ ही अमेठी से भी चुनाव लड़ेंगे और अगर वे अमेठी जीत जाते हैं तो पुश्तैनी सीट होने के चलते वे वायनाड को जीतने के बावजूद वायनाड को छोड़ देंगे।
चुनावी कार्यक्रम सहूलियत और मुसीबत का कॉम्बिनेशन
वोटिंग की बात करें तो वायनाड के लिए वोटिंग दूसरे चरण में 26 अप्रैल को होगी, जबकि अमेठी के लिए वोटिंग छठवें चरण में होगी, जिसके लिए नामांकन 26 अप्रैल के तीन मई के बीच होगी। ऐसे में अमेठी के लिए अभी तक कांग्रेस द्वारा उम्मीदवार यह संकेत भी दे रहा है कि पार्ट वायनाड में 26 अप्रैल को वोटिंग के बाद राहुल के नाम का एलान अमेठी से भी कर सकती है। इसी तर्क से राहुल के खिलाफ वायनाड में चल रहा एजेंडा मजबूत होता दिख रहा है।
वायनाड और अमेठी दोनों ही बढ़ा रहे टेंशन
वायनाड का रण राहुल के लिए देखने में फिलहाल तो काफी कांटे की टक्कर वाला हो ही गया है। वायनाड वैसे तो राहुल और कांग्रेस का गढ़ है ही लेकिन अगर राहुल को लेफ्ट द्वारा कड़ी चुनौती मिलती है तो फिर उनके लिए संसद पहुंचना भी मुश्किल हो सकता है। इसकी वजह यह है कि राहुल वायनाड के रण में घिरन के दौरान अमेठी का रुख करते भी है, तो वहां उनका मुकाबला स्मृति इरानी से होगा, जो कि राहुल के राजनीतिक करियर में पिछली बार ऐतिहासिक हार का धब्बा लगा चुकी हैं।
राहुल के लिए पिछली बार चुनाव के दौरान अमेठी के अलावा वायनाड से लड़ना आसान था, लेकिन इस बार उनके लिए यह ज्यादा मुश्किल है, क्योंकि फिर अगर वे कोई और सीट चुनते हैं तो यह उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता पर ही सवाल उठा सकता है। वहीं दोनों ही संसदीय क्षेत्रों में उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। ऐसे में इस बार उनका संसद जाने का सफर काफी चुनौतीपूर्ण साबित होता दिख रहा है।