Lok Sabha Chunav 2024: कर्नाटक में लोकसभा चुनावों के चलते सियासी पारा चढ़ा हुआ है। यहां की शिवमोगा लोकसभा सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। आम तौर पर इस सीट में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला देखने को मिलता है लेकिन इस बार यहां त्रिकोणीय जंग देखने को मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि यह सीट पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा का गढ़ मानी जाती है और इस बार उनके बेटे के खिलाफ उनके पूर्व साथी ईश्वरप्पा चुनावी मैदान में हैं। यहां 7 मई को तीसरे चरण में वोटिंग होनी है।
दरअसल, यहां शुरुआत में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला माना जा रहा था, लेकिन ईश्वरप्पा के मैदान में उतरने के बाद यह त्रिकोणीय मुकाबले में बदल गया है। ईश्वरप्पा येदियुरप्पा के पूर्व सहयोगी हैं। उन्होंने अपने बेटे को बीजेपी से टिकट न मिलने के चलते पार्टी छोड़ दी थी, वे इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
ईश्वरप्पा येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं। वहीं कांग्रेस ने गीता शिवराज कुमार को उतारा है, जो कि फिल्म अभिनेता शिवराज कुमार की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा की बेटी हैं। उन्हें उम्मीद है कि बीजेपी के वोट बंटने से उनकी चुनावी राह आसान हो सकती है।
हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ रहे हैं चुनाव
ईश्वरप्पा और राघवेंद्र दोनों के ही चुनावी कैंपेन में हिंदुत्व मुख्य मुद्दा है। दोनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस, राज्य के अन्य हिस्सों की तरह ही यहां अपने गारंटी का वादा पहुंचा रही है। राष्ट्रकवि कुवेमपुर के घर से कुछ किलोमीटर दूर तीर्थहल्ली गांव में एक स्थानीय निवासी रामचंद्रप्प कहते हैं कि बहुत सारे स्थानीय मुद्दे हैं। पत्ती-धब्बा और पीली पत्ती रोग और केएफडी किसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन राजनेता चुनाव प्रचार के दौरान इन मुद्दों पर चर्चा तक नहीं कर रहे हैं।
ईश्वरप्पा को क्यों है अपनी जीत पर भरोसा
इस बीच ईश्वरप्पा को भरोसा है कि वह इस सीट पर बीजेपी के किले को उखाड़ फेंकेंगे। उनका कहना है कि बीजेपी कार्यकर्ता येदियुरप्पा की वंशवादी राजनीति से तंग आ चुके हैं। पूर्व सीएम खुद 2014 में इस निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे। कई बीजेपी कार्यकर्ता येदियुरप्पा के परिवार को सबक सिखाने के लिए मेरे साथ शामिल हो गए हैं। आप गांवों में जाएं और आप देखेंगे कि मुझे किस तरह का समर्थन मिल रहा है।
क्या है बीजेपी का दावा?
दूसरी ओर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विजयेंद्र का मानना है कि ईश्वरप्पा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। चर्चा यह होनी चाहिए कि क्या ईश्वरप्पा अपनी जमानत बचा पाएंगे या नहीं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि जनता उन्हें भूल चुकी है। उनकी पकड़ बीजेपी के चलते ही थी। कांग्रेस उम्मीदवार की बात करें तो शिमोगा में हर कोई उनको लेकर कॉन्फिडेंट नहीं दिख रहा है। गीता शिवराज कुमार के भाई मधु बंगरप्पा राज्य के शिक्षा मंत्री हैं और वही कांग्रेस प्रत्याशी की कमान संभाल रहे हैं।
क्या हैं यहां का जातीय समीकरण
शिवमोगा लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरणों की बात करें तो निर्वाचन क्षेत्र के 17.5 लाख मतदाताओं में से 2.8 लाख लिंगायत हैं, जो भाजपा का पारंपरिक वोट माने जाते हैं। हालांकि वह पिछले चुनाव में बीजेपी से छिटक गया था। कांग्रेस को ओबीसी एडिगा समूह के 2.5 लाख मतदाताओं के समर्थन पर भरोसा है, जिससे गीता शिवराज कुमार संबंधित हैं। शिवमोगा में अनुसूचित जाति (एससी), वोक्कालिगा और ब्राह्मण समुदायों से 1.5 लाख मतदाता और 1.35 लाख मुस्लिम मतदाता भी है, जिन पर कांग्रेस ज्यादा भरोसा जता रही है।