Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बचे हैं। सभी दलों में सीटों का आकलन का दौर जारी है। विपक्षी दलों के नेता आपस में गठबंधन को लेकर भी सक्रिय हैं। सत्ताधारी भाजपा को चुनौती देने के लिए विभिन्न दलों में मंथन लगातार चल रहा है। पश्चिमी यूपी का क्षेत्र राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और समाजवादी पार्टी (SP) के लिए मजबूत गढ़ रहा है। इसी क्षेत्र का गाजियाबाद जिला दिल्ली से सटा हुआ है। यहां से मौजूदा सांसद पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह हैं। पिछले दो बार से वही यहां से जीत रहे हैं। उनके पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यहां से सांसद थे।

गाजियाबाद लोकसभा सीट ऐसी सीट है, जहां पर जातीय गणित फिलहाल भाजपा के पक्ष में है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा के लिए यह सीट जीतना इसलिए आसान है, क्योंकि यहां की आबादी में मुस्लिम और दलितों का समर्थन किसी एक दल के साथ नहीं है। मुस्लिमों और दलितों का समर्थन कई दलों में बंटा होने से उसका फायदा भाजपा को मिलता है। अगर जातीय आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के लिए यहां से जीत हासिल कर पाना बेहद मुश्किल है।

विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी बढ़ा सकता है भाजपा की चिंता

जानकारों का मानना है कि भाजपा का कोई भी प्रत्याशी हो, विपक्ष के लिए उसे चुनौती देना आसान नहीं होगा। विपक्ष भाजपा के लिए चुनौती उस स्थिति में जरूर बन सकता है, जब वह एक ऐसा साझा प्रत्याशी लाए, जिसके खिलाफ भाजपा को छोड़कर अन्य कोई दल अपना प्रत्याशी न उतारे। यानी एक तरफ भाजपा हो और दूसरी तरफ संयुक्त विपक्ष, तब भाजपा की चिंता थोड़ी बढ़ सकती है।

छह लाख ब्राह्मण और ढाई लाख क्षत्रिय बना रहे भाजपा के लिए राह आसान

जातीय संख्या के लिहाज से गाजियाबाद में ब्राह्मणों की अनुमानित आबादी 6 लाख है, जबकि मुस्लिम 5 लाख 50 हजार, दलित 5 लाख, क्षत्रियों की संख्या 2 लाख 50 हजार, वैश्य 2 लाख 50 हजार और जाट 2 लाख हैं। इसके अलावा कुछ अन्य जातियां भी हैं, जो चुनाव में अपना असर डालती हैं। लेकिन विपक्षी दलों की तरह जातियों के समर्थन में भी काफी विभाजन है। इससे भाजपा खुद की जीत को लेकर आश्वस्त है।

2008 के पहले हापुड़ का हिस्सा रहा है गाजियाबाद

गाजियाबाद पहले हापुड़ लोकसभा सीट का हिस्सा था, लेकिन 2008 में हुए परिसमीन के बाद इस सीट का विभाजन हो गया। इसके बाद गाजियाबाद नाम से नई लोकसभा सीट बन गई। हापुण का कुछ हिस्सा मेरठ लोकसभा सीट में चला गया। हापुड़ सीट पर भी लंबे समय तक भाजपा का कब्जा रहा।

1991 से लेकर 1999 (1991, 1996, 1998 और 1999) तक यहां से भाजपा के डॉ. रमेश चंद्र तोमर जीत हासिल करते रहे। इसके बाद बाद हुए 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद जब हापुड़ का विभाजन हो गया और गाजियाबाद नाम से नई सीट बनी तब अगले साल यानी 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से राजनाथ सिंह ने जीत हासिल की।

इसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा के ही जनरल वीके सिंह यहां से लगातार दो बाज विजयी रहे। ऐसे में यह सीट परंपरागत रूप से भाजपा की सीट रही है और भाजपा को यहां चुनौती देना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा। पश्चिम यूपी में राजनीतिक हालात और दलों की स्थिति कैसी रहेगी, यह इस बात पर भी निर्भर करेगी कि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. भाजपा को चुनौती देने के लिए आगे क्या रूप लेता है। समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और कांग्रेस के बीच संबंध भी बहुत कुछ इसका फैसला करेगा।