Lok Sabha Election: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाओं के एक दिन बाद कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता मनीष तिवारी के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है। मनीष तिवारी के बीजेपी के संपर्क में होने की मीडिया रिपोर्ट्स आने के बाद कांग्रेस सांसद के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह बिल्कुल हास्यास्पद है। सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि इस बार पंजाब के आनंदपुर साहिब की जगह मनीष तिवारी बीजेपी के टिकट पर लुधियाना से चुनाव लड़ना चाहते हैं।

बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि लुधियाना लोकसभा सीट से पार्टी के पास एक सक्षम उम्मीदवार है और इसी सीट को लेकर मनीष तिवारी के बीजेपी में शामिल होने को लेकर पेंच फसा हुआ है।

इस पूरे मामले पर आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के ऑफिस से एक बयान जारी कर इन खबरों का खंडन भी किया गया। बयान में कहा गया, “मनीष तिवारी के बीजेपी में शामिल होने की खबरें निराधार हैं। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में हैं और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को देख रहे हैं। शनिवार की रात को वो कांग्रेस कार्यकर्ताओं के घर पर रूके थे।’

मनीष तिवारी कांग्रेस के पुराने नेता हैं। वो UPA की सरकार के दौरान 2012 से 2014 तक सूचना प्रसारण मंत्री भी रह चुके हैं। साथ ही वो कांग्रेस प्रवक्ता भी रह चुके हैं। साल 2014 में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों की वजह से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था।

वहीं अटकलें लगाई जा रही हैं कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख कमल नाथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा सकते हैं। कहा जा रहा कि वो बीजेपी हाईकमान से मिलने के लिए शानिवार को दिल्ली पहुंचे थे।

कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेतृत्व से नाराज हैं। शनिवार को सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि कमलनाथ ने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी नाखुशी बता दी है।

कमल नाथ के करीबी सहयोगी सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जब कोई ‘बड़ा राजनेता’ अपने संगठन से नाता तोड़ने का फैसला करता है, तो ‘इसके पीछे सभी तीन कारक काम करते हैं।’ उन्होंने कहा कि राजनीति में तीन चीजें काम करती हैं – मान, अपमान और स्वाभिमान।

सज्जन सिंह ने कहा, ‘जब इन कारकों पर चोट पहुंचती है तो व्यक्ति अपने निर्णय बदल देता है… जब एक ऐसा शीर्ष राजनेता जिसने पिछले 45 वर्षों में कांग्रेस और देश के लिए बहुत कुछ किया है, अपनी पार्टी से दूर जाने के बारे में सोचता है, तो ये तीन कारक काम करते हैं।’

सिंह ने कहा, ‘जिस व्यक्ति ने कांग्रेस को 45 साल समर्पित किए, अगर कहीं हम उस व्यक्ति का सम्मान नहीं कर पा रहे हैं तो यह उस राजनीतिक दल की कमजोरी है। इसलिए व्यक्ति अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।’

ऐसी अटकलें हैं कि इस साल राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकित नहीं किए जाने से कमलनाथ “नाखुश” हैं। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि यह सच नहीं है। उन्हें यह कहते हुए सुना गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश से अशोक सिंह के नामांकन के लिए दबाव डाला था और वह नहीं चाहते थे कि मीनाक्षी नटराजन को नामांकित किया जाए। नटराजन कथित तौर पर उच्च सदन के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पसंद थीं।

पिछले साल दिसंबर में कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को हार का सामना करने के पटवारी को प्रदेश के मुखिया की कमान सौंपी गई थी। मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 163 सीटें जीतकर भाजपा ने मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखी। 2023 के राज्य चुनाव में कांग्रेस ने 66 सीटें जीतीं थीं।