लोकसभा चुनाव के बाद हार के कारणों के विश्लेषण के लिए कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की खबर आई। राहुल के इस पेशकश पर पूरी वर्किंग कमेटी ने उनसे ऐसा नहीं करने को कहा है। वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस खबर को खारिज करते हुए कहा कि राहुल ने इस्तीफे की पेशकश नहीं की है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने खबर दी थी कि राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। हालांकि, राहुल के इस्तीफे की पेशकश संबंधी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी।
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इससे पहले नई दिल्ली के पार्टी दफ्तर में बैठक शुरू हुई थी। बैठक में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ नहीं पहुंचे। मध्यप्रदेश में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी यहां 29 में 28 सीटे हार गई है। इतना ही नहीं राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नामों को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा है। यहां से सिर्फ मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ ही चुनाव जीत पाए हैं।
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, प्रियंका गांधी व पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बैठक में राज्यों के प्रभारी भी मौजूद रहे। इससे पहले सूत्रों का कहना था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे सकते हैं।
Congress’ Randeep Singh Surjewala clarifies reports of Congress President offering his resignation are incorrect. CWC meeting going on. pic.twitter.com/wszSULWPe0
— ANI (@ANI) May 25, 2019
इससे पहले लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद सामने आया कि कांग्रेस का देश के 18 राज्यों में खाता नहीं खुला। केरल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां से पार्टी की सीटें दोहरी संख्या में पहुंची। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के लिए आवश्यक 54 सीटें भी नहीं जीत पाई। कांग्रेस को सिर्फ 52 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस के अन्य सहयोगियों डीएमके और एनसीपी समेत के अन्य दल 40 सीटें जीतने में कामयाब रहे।
पिछले साल तीन राज्यों में जीती थी सत्ताः कांग्रेस ने पिछले साल ही मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता में आई थी। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी। वहीं, राजस्थान में वसुंधरा को भी पार्टी सत्ता से हटाने में कामयाब रही थी। इन तीनों राज्यों में पार्टी विधानसभा के प्रदर्शन को लोकसभा में दोहरा नहीं पाई।