Lok Sabha Chunav 2024: हरियाणा में बीजेपी ने साल 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटें जीती थीं लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उसे बड़ा झटका दिया है क्योंकि अक्टूबर में ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। हरियाणा में कुछ महीने पहले ही बीजेपी ने जेजेपी से गठबंधन तोड़ते हुए सरकार का पुनर्गठन किया था और मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था।

ऐसे में सवाल यह है कि आखिर बीजेपी को इतना बड़ा झटका कैसे लगा? बीजेपी का वोट शेयर 58 प्रतिशत से गिरकर 46 प्रतिशत पर आ गया, जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 28 से बढ़कर 43 प्रतिशत पर जाकर उछल गया। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि यह चुनाव बीजेपी के लिए रेड अलर्ट है। साल 2014 से 24 तक जो लोग पार्टी के केंद्र और राज्य के शासन से बोर हो गए थे, उन्हें फिर से अपने पाले में लाने के लिए पार्टी को नए सिरे से चुनावी कैंपेन को धार देनी होगी।

बीजेपी की क्या हैं टेंशन

बीजेपी की चिंता 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम तो हैं ही लेकिन उसकी टेंशन कुछ और भी है। पार्टी को भले ही 2019 के लोकसभा चुनाव में 10 सीटें मिली हों लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की मुसीबतें बढ़ गई थी और उसे सरकार बनाने के लिए जेजीपी का समर्थन भी लेना पड़ा था। अब पार्टी की टेंशन यह है कि कहीं उसका हाल 2019 के विधानसभा चुनाव की तरह या उससे भी खराब न हो जाए।

बता दें कि 90 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी ने 2019 में 40 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के हिस्से में 31 सीटें आई थीं। बीजेपी को सरकार बनाने के लिए जेजेपी का समर्थन करना पड़ा था। बीजेपी के पास अब जेजेपी का समर्थन नहीं है। वहीं पिछले महीने ही 3 निर्दलीय विधायकों ने सैनी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। कांग्रेस लगातार राज्य में फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है। इसको लेकर उन्होंने राज्यपाल बंदारू दत्तात्रेय से मांग की थी कि वे सरकार और विधानसभा भंग कर राज्य में विधानसभा चुनाव कराने का रास्ता साफ करें।

नए जोश में है कांग्रेस

हरियाणा में बीजेपी की सरकार को अल्पमत में बताने के साथ ही कांग्रेस पार्टी इस समय पूरे जोश में इसलिए भी है, क्योंकि उसे लोकसभा चुनाव में 5 सीटों की जीत की बड़ी संजीवनी मिली है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कहा है कि इस बार कांग्रेस ने अंबाला और सिरसा की दोनों अनुसूचित जाति-आरक्षित लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है।

हालांकि पार्टी को हरियाणा में सभी 36 समुदायों या छत्तीस बिरादरी का समर्थन मिला है, लेकिन अंबाला और सिरसा में जीत से पता चलता है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी सभी कांग्रेस के पक्ष में हैं। हमने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा, खराब बुनियादी ढांचे, कानून और व्यवस्था के मुद्दे उठाए हैं और ऐसा करना जारी रखेंगे।

किसानों का आंदोलन बना मुसीबत

बीजेपी के लोकसभा चुनाव में हुए खराब प्रदर्शन के कई कारक हो सकते हैं। इनमें से एक मुख्य कारक 2020 के किसान आंदोलन के साथ, किसानों का साथ दुर्व्यवहार किया गया, उससे किसानों का गुस्सा काफी बढ़ गया था। इसमें 700 से अधिक किसानों की मौत हो गई थी। इसके अलावा हरियाणा की महिला पहलवानों द्वारा पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगाए गए आरोपों ने राज्य में तूल पकड़ लिया।

इसके अलावा हरियाणा सरकार की योजनाओं में विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दे भी हैं। 2020 में पेश किया गया परिवार पहचान पत्र एक विवादास्पद मुद्दा है और कांग्रेस के मुख्य मुद्दों में से एक बन गया। विपक्ष इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बता रहा है। कांग्रेस इन मुद्दों के इर्द-गिर्द चुनावी कैंपेन चलाने में सफल रही है, इसमें पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा सबसे आगे हैं।