Lok Sabha Chunav 2024: पश्चिम बंगाल में 5 चरणों की वोटिंग के बाद आखिरी दो फेज सियासी लिहाज से काफी दिलचस्प और गर्माहट वाले हो सकते हैं। बीजेपी यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, जबकि राज्य की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी की कोशिश है, कि किसी भी कीमत पर अपने किले को दरकने से बचाया जाए। इन सबके बीच विज्ञापनों का भी एक भीषण वॉर चल रहा है, जिसको लेकर अब बीजेपी को कलकत्ता हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है और कोर्ट ने बीजेपी के टीएमसी के खिलाफ एक आक्रामक विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं,कोर्ट ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग को भी कड़ी फटकार लगाई है।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य की सिंगल बेंच ने बीजेपी के विज्ञापनों के खिलाफ टीएमसी द्वारा की गई शिकायतों को सही माना और उन पर कार्रवाई न करने के चलते चुनाव आयोग को भी घेर लिया। कोर्ट ने यह तक कह दिया कि चुनाव आयोग अपनी ड्यूटी निभाने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है।

कोर्ट ने चुनाव आयोग को लगाई फटकार

कानूनी मामलों को कवर करने वाले बार-एंड-बेंच द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट के जस्टिस भट्टाचार्य ने अपने आदेश में कहा कि चुनाव आयोग तय समय सीमा में टीएमसी की शिकायतों का समाधान करने में पूरी तरह विफल रहा है। अदालत इस बात पर आश्चर्य में भी है कि चुनाव खत्म होने के बाद शिकायतों का समाधान करने पर हासिल क्या होगा।

कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की इस विफलता और लेटलतीफी के चलते ही अदालत को आदेश पारित करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह याचिका न केवल मीडिया सस्थानों पर विज्ञापनों पर प्रकाशित विज्ञापनों पर रोक लगाने से ही संबधित नहीं है, बल्कि मुख्य रूप से यह बीजेपी के ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित करने पर भी लागू होता है, जो कि टीएमसी कांग्रेस और उसके नेताओं के राजनीतिक अधिकारों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं।

टीएमसी के अधिकारों का हनन

गौरतलब है कि बीजेपी ने ऐसे कई विज्ञापनों के जरिए टीएमसी को निशाने पर लिया है। आरोप हैं कि ये सभी आचार संहिता तक का खुलेआम उल्लंघन करते हैं, लेकिन इन चुनाव आयोग ने कार्रवाई नहीं की, तो कोर्ट ने आयोग को भी फटकार लगा दी।

कोर्ट ने कहा कि वोटिंग से ठीक दिन पहले साइलेंट पीरियड के दौरान विज्ञापन प्रकाशित करना न केवल आचार संहिता का ही उल्लंघ नहीं है, बल्कि टीएमसी कांग्रेस के अधिकारों पर भी हमला है।