राजनीति में धन-बल के प्रभाव को कम करने की काफी बातें की जाती हैं, लेकिन स्थिति इसके ठीक उलट नजर आ रही है। दरअसल एक रिपोर्ट में पता चला है कि हालिया आम चुनावों में जो उम्मीदवार जितना अमीर था, उसके जीतने का चांस उतना ही ज्यादा रहा। रिपोर्ट के अनुसार, आम चुनावों में 5 करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति वाले उम्मीदवारों के जीतने का प्रतिशत 30.1% रहा, जो कि कम संपत्ति वाले उम्मीदवारों की तुलना में कहीं ज्यादा है। वहीं राज्यवार देखें तो कई राज्यों में करोड़पति उम्मीदवारों के जीतने का प्रतिशत 100% रहा।
बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) ने एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों में जिन उम्मीदवारों की संपत्ति 5 करोड़ या उससे ज्यादा थी, उनके जीतने का प्रतिशत 30.1% रहा। वहीं 10 लाख या उससे कम की संपत्ति वाले उम्मीदवारों की जीत का प्रतिशत सिर्फ 0.3% रहा। रिपोर्ट के अनुसार, 15वीं लोकसभा में 58% करोड़पति उम्मीदवार थे। जो कि 16वीं लोकसभा में बढ़कर 82% हो गए। अब 17वीं लोकसभा में जो करोड़पति उम्मीदवारों का प्रतिशत बढ़कर 88% हो गया है। पार्टियों की बात करें तो बसपा और शिवसेना के टिकट पर जीते सभी उम्मीदवार करोड़पति हैं। वहीं डीएमके के 96% और जेडीयू के 94% उम्मीदवार करोड़पति हैं। दोनों राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस में क्रमशः 88% और 84% उम्मीदवार करोड़पति हैं।
बीजू जनता दल और कम्यूनिस्ट पार्टियां ही इस मामले में थोड़ा पीछे नजर आ रही हैं। दोनों पार्टियों में करोड़पति उम्मीदवारों का प्रतिशत 67% है। बीजद के लोकसभा में 12 सांसद हैं और कम्यूनिस्ट पार्टी के 3 उम्मीदवार संसद पहुंचे हैं। बता दें कि 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में सबसे अमीर उम्मीदवार नकुल कमलनाथ रहे, जिन्होंने अपने पास 660 करोड़ रुपए की संपत्ति होने की बात स्वीकारी है। नकुल, मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के बेटे हैं। नकुल के बाद वसंत कुमार एच का नाम आता है, जिन्होंने अपने नामांकन में 417 करोड़ रुपए की संपत्ति होने की बात कही है।