List of Congress High-Profile Exits: पूर्व कांग्रेस सांसद और केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने रविवार को कांग्रेस के साथ अपने परिवार के 55 साल पुराने रिश्ते को खत्म कर दिया और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए। इसी के साथ देवड़ा उन हाई प्रोफाइल नेताओं की कतार में सबसे नए नेता बन गए, जिन्होंने कांग्रेस से अपना संबंध तोड़ लिया है।
देवड़ा को पिछले दो लोकसभा चुनाव में शिवसेना के अरविंद सावंत से हार का सामना करना पड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि वह सीट-बंटवारे समझौते के तहत अपनी मुंबई दक्षिण सीट उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) को दिए जाने की संभावना को लेकर कांग्रेस पार्टी से नाखुश थे।
साल 2004 में देवड़ा पहली बार संसद पहंचे थे। उस वक्त वो युवा सांसदों की टीम का हिस्सा थे। जिसको राहुल गांधी की टीम का हिस्सा माना जाता था। अन्य नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट और आरपीएन सिंह शामिल थे। पायलट को छोड़कर ये सभी पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस छोड़ चुके हैं।
आइए जानते हैं कि उन बड़े नेताओं के बारे में जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस छोड़ी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
वर्तमान में केंद्रीय मंत्री और चार बार के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च 2020 में मध्य प्रदेश में कम से कम 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी। उनके सत्ता में आने के एक साल बाद ही कांग्रेस के नेतृत्व वाली कमलनाथ राज्य सरकार गिर गई थी।
अपने त्याग पत्र में, सिंधिया ने अपने बाहर निकलने को “एक ऐसा रास्ता बताया जो पिछले वर्ष से अपने आप निकल रहा है”। कांग्रेस से अपने मोहभंग का संकेत देते हुए उन्होंने लिखा: “हालांकि मेरा लक्ष्य और उद्देश्य वही है जो शुरू से ही रहा है, अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना, मेरा मानना है कि मैं अब यह करने में असमर्थ हूं।
कांग्रेस की 2019 की लोकसभा हार के बाद सिंधिया उन नामों में से एक थे, जिन्हें कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी के संभावित उत्तराधिकारियों के रूप में देखा जा रहा था।
जितिन प्रसाद
जून 2021 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से एक साल से भी कम समय पहले जितिन प्रसाद पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने वाले जी-23 कांग्रेस नेताओं के समूह में से पहले नेता बने। जी-23 नेताओं ने 2020 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में आमूल-चूल बदलाव की मांग की थी।प्रसाद 2001 से कांग्रेस से जुड़े थे और पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री थे। दिवंगत कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे, उन्हें एक समय “युवा तुर्क” के रूप में देखा जाता था, कहा जाता था कि वो राहुल गांधी की टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जितिन ने पार्टी छोड़ने के बाद कहा था, “भाजपा एकमात्र वास्तविक राजनीतिक पार्टी है और यह एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है।” उन्होंने दावा किया है कि उन्हें महसूस हुआ है कि वह अपनी पूर्व पार्टी में “केवल राजनीति से घिरे हुए थे” और “लोगों के लाभ के लिए योगदान देने और अपना काम करने में असमर्थ” थे। जितिन प्रसाद वर्तमान में योगी आदित्यनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
सुष्मिता देव
देव अखिल भारतीय महिला कांग्रेस प्रमुख थीं और असम में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक थीं। उन्होंने अगस्त 2021 में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी थी। बाद में उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया गया। कहा जाता है कि राहुल की टीम के जाने-माने सदस्य देव असम में नेतृत्व द्वारा लिए गए कुछ फैसलों से नाखुश थी।
देव के नाखुश होने की अफवाहें फरवरी 2021 से ही चल रही थीं, जब कहा गया था कि वह बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली कांग्रेस और उसके तत्कालीन सहयोगी एआईयूडीएफ द्वारा उम्मीदवारों के चयन पर कांग्रेस की बैठक से बाहर चली गई थीं। सूत्रों ने कहा, देव को लगा कि उनका “राजनीतिक स्थान सिमट रहा है”। वर्तमान में वो टीएमसी से राज्यसभा सांसद हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह
नवंबर 2021 में पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी और अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बना ली। एक साल से भी कम समय के बाद उन्होंने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में सिंह ने कहा, ”मेरी गहरी आपत्तियों और पंजाब के लगभग सभी सांसदों की सर्वसम्मत सलाह के बावजूद, आपने नवजोत सिंह सिद्धू को चुना। जिन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा और प्रधान मंत्री इमरान खान को गले लगाया था।
कांग्रेस छोड़ने से पहले, उन्होंने पंजाब के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि राज्य इकाई में लंबे समय तक चली अंदरूनी कलह के कारण पार्टी आलाकमान ने सिंह को पद छोड़ने के लिए कहा था। वर्तमान में वो बीजेपी में शामिल हैं।
आर पी एन सिंह
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह जनवरी 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस अब वह पार्टी नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। तीन बार विधायक रहे सिंह ने कांग्रेस में तीन दशक से अधिक समय बिताया। इससे पहले उनके पिता कुंवर चंद्र प्रताप नारायण विधायक और दो बार सांसद और 1980 में इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री थे।
सिंह ने कहा था, ‘मैं पिछले 32 साल से एक ही पार्टी में हूं, लेकिन आज मुझे कहना होगा कि पार्टी अब वैसी नहीं रही जैसी पहले हुआ करती थी, न ही उसकी सोच रही है। आज, हर कोई जानता है कि अगर कोई एक पार्टी है, जो लोगों के लाभ के लिए काम कर रही है और राष्ट्र के निर्माण पर काम कर रही है, तो वह भाजपा है। वर्तमान में वो बीजेपी के सदस्य हैं।
कपिल सिब्बल
मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री कपिल सिब्बल का मई 2022 में कांग्रेस से बाहर होना दो महीने बाद हुआ था, जब उन्होंने खुले तौर पर गांधी परिवार को नेतृत्व की भूमिकाओं से हटने और किसी अन्य नेता को मौका देने के लिए कहा था। इसके तुरंत बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी द्वारा समर्थित एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के लिए अपना नामांकन दाखिल किया।
उस वक्त सिब्बल ने कहा था कि उन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की योजना बनाई है, जो जनविरोधी नीतियों का पालन कर रही है और जो भारत की समावेशी संस्कृति को विभाजित कर रही है।
1991 से शुरू होकर कांग्रेस के साथ अपने तीन दशक से अधिक के जुड़ाव के दौरान सिब्बल कुछ क्षेत्रीय क्षत्रपों – जैसे लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव और बाद में उनके बेटे अखिलेश यादव के उतने ही करीब थे, जितने कि वह सत्ता कांग्रेस के थे। कांग्रेस में उन्होंने दिवंगत अहमद पटेल के साथ मिलकर काम किया, जिससे सोनिया के साथ उनकी निकटता सुनिश्चित हुई। हालांकि, वह कभी भी राहुल गांधी के साथ अच्छे कामकाजी संबंध स्थापित नहीं कर सके। वर्तमान में वो राज्यसभा सदस्य हैं।
गुलाम नबी आजाद
सिब्बल के तीन महीने बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ दी। तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को संबोधित पांच पेज के पत्र में आजाद ने कहा कि कांग्रेस में स्थिति “कोई वापसी नहीं” के बिंदु पर पहुंच गई है। पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री आज़ाद ने अगले महीने अपना खुद का संगठन, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी बनाई।
आजाद ने कहा, ‘पूरी संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया एक दिखावा है। देश में कहीं भी संगठन के किसी भी स्तर पर चुनाव नहीं हुआ है। एआईसीसी के चुने हुए लेफ्टिनेंटों को 24 अकबर रोड पर बैठे एआईसीसी को चलाने वाले मंडल द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया है।
उन्होंने विशेष रूप से राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीति में उनके प्रवेश के बाद खासकर जब उन्हें 2013 में पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्होंने पूरे तंत्र को ध्वस्त कर दिया, जो पहले कांग्रेस में मौजूद था। आजाद वर्तमान में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के नेता हैं।
जयवीर शेरगिल
शेरगिल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे, जब उन्होंने अगस्त 2022 में गुलाम नबी आज़ाद के समान ही पद छोड़ा था। उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि पार्टी में योग्यता पर “चाटुकारिता” को प्राथमिकता दी गई है। वह दिसंबर में भाजपा में शामिल हुए।
जालंधर के रहने वाले गिल ने युवा और मुखर चेहरों की पहचान करने के लिए 2014 में पार्टी द्वारा आयोजित “टैलेंट हंट” के माध्यम से कांग्रेस में प्रवेश किया। उन्हें 2014 में राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट के रूप में नियुक्त किया गया था और 2018 में राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में पदोन्नत किया गया था। वर्तमान में वो बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।