Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। केजरीवाल ने अपनी वर्चुअल पेशी के दौरान कहा कि, ‘मैं फिजिकली आना चाहता था, लेकिन ये अचानक विश्वास प्रस्ताव आ गया। बजट सत्र चल रहा है, जो 1 मार्च तक चलेगा। इसके बाद कोई भी तारीख दी जा सकती है।’ जिस पर कोर्ट ने कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की पेशी के लिए 16 मार्च की तारीख तय कर दी।

ईडी के सूत्रों के अनुसार,आज की सुनवाई से दिल्ली सीएम केजरीवाल को जारी समन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ईडी ने उन्हें 19 तारीख को पेश होने के लिए कहा है। इस बीच, अगर ईडी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करने का फैसला करती है, तो ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में है।

बता दें, दिल्ली शराब घोटाले में ईडी के बार-बार समन के बाद भी केजरीवाल पेश नहीं हो रहे थे, जिसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री को हाजिर होना होगा। ईडी ने कोर्ट से मांग करते हुए कहा था केजरीवाल को निर्देश दिया जाए कि वो फिजिकली उपस्थित हों। इस पर कोर्ट ने कहा कि उनके वकील पहले ही कह चुके हैं कि वह पेश होंगे और जमानत याचिका भी दायर करेंगे।

दिल्ली विधानसभा में क्या बोले केजरीवाल?

शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पेश करते हुए केजरीवाल ने कहा था कि पार्टी के दो विधायकों ने उन्हें बताया कि उनसे भाजपा के सदस्यों ने संपर्क किया था, जिन्होंने दावा किया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।

केजरीवाल ने कहा, ‘विधायकों को बताया गया कि 21 आम आदमी पार्टी के विधायक पार्टी छोड़ने पर राजी हो गए हैं। साथ ही अन्य भी भाजपा के संपर्क में हैं। उन्होंने विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए 25 करोड़ रुपये देने की पेशकश की। विधायकों ने मुझे बताया कि उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। जब हमने अन्य विधायकों से बात की तो हमने पाया कि उन्होंने 21 नहीं, बल्कि सात से संपर्क किया था। वे एक और ऑपरेशन लोटस को अंजाम देने की कोशिश कर रहे थे।’

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा था कि मैं यह बताना चाहता हूं कि हमारे किसी भी विधायक ने दल नहीं बदला और सभी मजबूती से हमारे साथ बने हुए हैं।’ बता दें कि यह दूसरी बार है जब अरविंद केजरीवाल सरकार ने विश्वास मत मांगा है। 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 62 विधायक हैं। वहीं भाजपा के आठ विधायक हैं।

जानिए पूरा घटनाक्रम?

दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च, 2021 को नई शराब नीति की घोषणा की थी। 17 नवंबर, 2021 को इस नीति को लागू कर दिया गया था। नई शराब नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी। नई शराब नीति में कहा गया था कि राजधानी में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी।

हालांकि, इन सबके बावजूद नई शराब नीति शुरू से ही विवादों के घेरे में रही और इसके लेकर बीजेपी ने सवाल खड़े किए। जब विरोध ज्यादा बड़ा तो आनन-फानन में केजरीवाल सरकार ने इस नई शराब नीति को वापस ले लिया और पुरानी पॉलिसी को लागू कर दिया गया। जिसके बाद इस पूरे मामले में सीबीआई की एंट्री हुई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर ईडी की एंट्री हुई। उसके बाद केजरीवाल सरकार के कई नेता और करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के रडार पर आ गए।