आईएएस अफसर आयुष सिन्हा को लेकर सरकार और किसान नेताओं के बीच एक और दौर की वार्ता विफल हो गई। उसके बाद राकेश टिकैत समेत तमाम नेताओं ने ऐलान किया कि अब दिल्ली बॉर्डर की तरह करनाल में भी पक्का मोर्चा बनेगा। उसके बाद आनन-फानन में किसानों ने लोहे का ढांचा बनाकर स्थाई ठिकाने बनाने शुरू कर दिए हैं।

किसान नेताओं का कहना है कि पंजाब और यूपी के किसान भी करनाल में पहुंच रहे हैं। उधर, लाठीचार्ज में जख्मी हुए किसान गुरजंट विर्क वापस धरने पर लौट आए। उनका कहना था कि उनकी आंखों की रोशनी पर लाठी लगने से असर पड़ा है। उनका कहना है कि मांग पूरी होने तक वो अपने घर वापस नहीं जाएंगे। पुलिस को लाठीचार्ज करने का आदेश देने वाले आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर किसान जिला मुख्यालय के बाहर डटे हैं। बातचीत विफल रहने के बाद बुधवार शाम को लघु सचिवालय के प्रवेश द्वारों के बाहर बैठे रहे। प्रदर्शनकारी 28 अगस्त को यहां पुलिस के लाठीचार्ज करने पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

उधर, बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी आरोप लगाया कि सरकार अधिकारी को बचाने का प्रयास कर रही है। टिकैत ने कहा कि हमने इसी जगह पर धरना जारी रखने का निर्णय लिया है, जहां पिछली रात बिताई थी। उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब से भी किसान यहां धरने में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान इस बात का ध्यान रखेंगे कि उनके धरने से सचिवालय का काम प्रभावित न हो और जनता को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े।

योगेंद्र यादव ने संवाददाताओं से कहा कि हमें खेद के साथ बताना पड़ रहा है कि वार्ता पूरी तरह विफल रही। सरकार असंवेदनहीन व अड़ियल रवैया अपना रही है। उनका रवैया कल जैसा ही है और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। यादव ने कहा कि उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक बैठक में मौजूद थे और बाद में करनाल के मंडल आयुक्त भी शामिल हुए।

योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों ने पूर्व में आईएएस अधिकारी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि पर्याप्त वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद सरकार आईएएस अधिकारी को निलंबित तक करने को तैयार नहीं है। उनके खिलाफ केवल एक मुकदमा दर्ज कर छोड़ दिया गया है। गौरतलब है कि गतिरोध को समाप्त करने के मकसद से जिला प्रशासन ने एक बार फिर बुधवार अपराह्न दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया था। इसमें योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह चढ़ूनी और राकेश टिकैत भी मौजूद रहे।