जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रशासन विभाग का 2025 का अवकाश कैलेंडर केंद्र शासित प्रदेश में राजभवन और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेतृत्व वाली सरकार के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में विवाद का नया विषय बन गया है। रविवार को घोषित आधिकारिक कैलेंडर में आईएएस अधिकारी एम राजू की अध्यक्षता वाले जम्मू-कश्मीर सामान्य प्रशासन विभाग ने 5 दिसंबर और 13 जुलाई को छुट्टियों की सूची में शामिल नहीं किया।

5 दिसंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती है जबकि 13 जुलाई को घाटी में शहीद दिवस मनाया जाता है। यह दिन 13 जुलाई 1931 को महाराजा हरि सिंह के शासन के दौरान श्रीनगर सेंट्रल जेल के बाहर मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, जिनमें से सभी मुस्लिम थे।

इस कदम के बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा की अपनी मांग दोहराएगी, साथ ही कहा कि दोहरी सत्ता केंद्र अब और काम नहीं कर सकते।

5 दिसंबर और 13 जुलाई की छुट्टियों को लेकर मचा है घमासान

2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने तक ये दोनों दिन, 5 दिसंबर और 13 जुलाई आधिकारिक अवकाश थे। 2020 में उपराज्यपाल ने इन्हें छुट्टियों की सूची से हटा दिया था। हालांकि पिछले चार सालों में इन दिनों कोई आधिकारिक अवकाश नहीं रहा है। हालांकि, उम्मीद थी कि 2014 के बाद जम्मू-कश्मीर में पहले चुनाव के बाद इस अक्टूबर में एनसी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद अब इन्हें छुट्टियों की लिस्ट में शामिल कर लिया जाएगा।

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एनसी प्रवक्ता तनवीर सादिक ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि इन दो दिनों को बाहर रखने का कदम जम्मू-कश्मीर के इतिहास और उसके लोकतंत्र के प्रति भाजपा की उपेक्षा को दर्शाता है। सादिक ने कहा, “इससे शेख मोहम्मद अब्दुल्ला या 13 जुलाई के शहीदों जैसे नेताओं का महत्व नहीं बदलता या कम नहीं होता।”

नेशनल कॉन्फ्रेंस की जम्मू -कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग

सादिक ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू -कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए और अधिक आक्रामक तरीके से लड़ेगी। उन्होंने कहा, “दोहरे सत्ता केंद्र (नई दिल्ली और जम्मू-कश्मीर) कहीं भी काम नहीं करते। हमें उम्मीद है कि कोई दोहरा सत्ता केंद्र नहीं होगा। साथ ही लोगों ने सत्तारूढ़ पार्टी (नेशनल कॉन्फ्रेंस) को जो जनादेश दिया है, उसे देखते हुए कोई भी दोहरा सत्ता केंद्र अन्याय होगा।”

सूत्रों ने कहा कि एनसी को यह उम्मीद थी कि कम से कम 5 दिसंबर को इसके संस्थापक अब्दुल्ला की जयंती को आधिकारिक अवकाश के रूप में मार्क किया जाएगा। इस महीने की शुरुआत में, नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से अब्दुल्ला की जयंती को सरकारी छुट्टियों की सूची में शामिल करने की अपील की थी।

सीएम ऑफिस और एलजी कार्यालय की शक्तियों का निर्धारण करने की मांग

राजभवन और एनसी के बीच इस ताजा विवाद ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स को सुर्खियों में ला दिया है। यूटी में निर्वाचित सरकार के आने के बाद इनका गठन किया जाना था और सीएम कार्यालय और एलजी कार्यालय की शक्तियों का निर्धारण और परिसीमन करना था। हालांकि, इनका गठन नहीं किया गया है।

इससे जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक क्षेत्र में इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है कि कौन से विभाग सीएम अब्दुल्ला के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और कौन से विभाग एलजी मनोज सिन्हा के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों ने माना कि “राजभवन और निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है।”

इन मुद्दों पर छिड़ा है टकराव

इस उम्मीद में कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिल जाएगा, उमर अब्दुल्ला सरकार ने राजभवन के साथ किसी भी टकराव से परहेज किया है। लेकिन एलजी के कार्यालय द्वारा अधिक विभागों पर नियंत्रण किए जाने के बाद, आने वाले महीनों में टकराव होने की उम्मीद है।

एक एनसी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “कई मुद्दे हैं। ऐसे विभाग हैं जो स्पष्ट रूप से सीएम के अधीन हैं लेकिन उनका नेतृत्व एक आईएएस अधिकारी कर रहा है। आईएएस अधिकारी एलजी के नियंत्रण में हैं और कोई नहीं जानता कि उन्हें सीएम या राज्यपाल के आदेश का पालन करना चाहिए या नहीं।” नेता ने कहा, “पूर्ण राज्य का दर्जा वापस करना ही इस समस्या का एकमात्र समाधान प्रतीत होता है। अन्यथा, हम आने वाले दिनों में इस तरह के टकराव देखेंगे।” देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग