कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर अवमानना का केस करना चाह रहे वकील को झटका लगा है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने वकील विनीत जिंदल की मांग को ठुकरा दिया है। विनीत जिंदल ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की अनुमति दी जाए।

विनीत जिंदल ने कहा था कि कांग्रेस नेता ने भारतीय न्यापालिका के खिलाफ और उसकी गरिमा को धूमिल करने वाली टिप्पणियां की है। उन्होंने अटॉर्नी जनरल को एक पत्र लिखा था जिसमें कांग्रेस नेता के एक साक्षात्कार का हवाला दिया गया था। जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा था कि इस देश में एक कानूनी तंत्र है जिसमें हर किसी को अपनी आवाज उठाने की 100 प्रतिशत आजादी है। यह बिल्कुल साफ है कि बीजेपी ने इन सभी संस्थाओं या व्यवस्थाओं में अपने लोगों को बैठा दिया है। साथ ही उन्होंने कहा था कि इस देश के संस्थागत ढ़ांचे को छीना जा रहा है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के कानून की धारा 15 और नियमावली के नियम 3 के तहत अवमानना की कार्रवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय या सॉलिसिटर की सहमति आवश्यक होती है।

एजी ने क्या कहा?: पूरे मामले पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस प्रकार मेरी सहमति देने का सवाल ही नहीं उठता है। विचारधीन बयान जनता के नजरिए से संस्था के अधिकार को कमतर नहीं करता है। एजी ने कहा कि राहुल गांधी के बयानों ने न्यापालिका का एक सामान्य संदर्भ दिया और उसके सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई विशेष संदर्भ नहीं दिया।

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे थे। उनके द्वारा दिये गए कुछ बयानों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सवाल भी खड़े किए गए थे।