Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक अजीबोगरीब मामला पहुंचा। जिसमें एक वकील पर लुधियाना के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट से न्यायिक फाइल और कंप्यूटर स्क्रीन चोरी करने आरोप लगा। हालंकि, सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी वकील की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने वकील की याचिका पर पंजाब राज्य को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई तीन जनवरी के लिए निर्धारित की।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 411, 427, 454, 409, 201 और 120-बी के साथ धारा 380 के तहत एफआईआर संख्या 44, दिनांक 28 फरवरी, 2022 के संबंध में गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। यह एफआईआर पुलिस स्टेशन डिवीजन नंबर 5, लुधियाना, पंजाब में दर्ज की गई है, बशर्ते कि जांच अधिकारी द्वारा बुलाए जाने पर वह जांच में शामिल हो ।

याचिकाकर्ता हरदयाल इंदर सिंह पर भारतीय दंड संहिता की धारा 380 (भवन में चोरी), 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना), 427 (शरारत), 454 (गृह-भेदन), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 201 (साक्ष्यों का गायब होना) के तहत अपराध दर्ज किया गया था।

शिकायत करण कुमार नामक एक अहलमद (न्यायालय क्लर्क) द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिन्होंने बताया था कि दो दिन की कोर्ट छुट्टी के बाद कार्यालय खुला पाया गया तथा सामान गायब था।

जांच में पता चला कि सह-आरोपी चेतन कुमार, जिसकी कोर्ट परिसर में पहुंच थी, सीसीटीवी में चोरी की गई कंप्यूटर स्क्रीन ले जाते हुए देखा गया था। चेतन कुमार ने बाद में एक अन्य सह-आरोपी दीपक डोगरा को भी फंसाया, जिसने कथित तौर पर उसके साथ न्यायिक फाइल चुराने की साजिश रची थी, और इस काम के लिए पैसे देने का वादा किया था।

‘तुरंत रिहा करो’, हाई कोर्ट ने पुलिस से पूछा- BJP नेता को इतनी जल्दी गिरफ्तार करने की जरूरत क्या थी? मंत्री पर की थी अभद्र टिप्पणी

दीपक डोगरा ने दावा किया कि उन्होंने चोरी की गई फाइल 28 फरवरी, 2022 को वकील सिंह को सौंप दी थी। सिंह ने अग्रिम जमानत के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।

उन्होंने किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार करते हुए तर्क दिया कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और अपराध से उनका कोई सीधा संबंध नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि आरोप सह-आरोपी द्वारा दिए गए विरोधाभासी बयानों पर आधारित थे और चोरी में भाग लेने का उनका कोई मकसद नहीं था।

अंततः, हाई कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता पर बल देते हुए उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि मामला महत्वपूर्ण न्यायिक दस्तावेजों की चोरी से जुड़ा था, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता पर गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गयीं। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिससे आरोपी वकील को राहत मिली।

यह भी पढ़ें-

‘मैंने जस्टिस शेखर यादव की नियुक्ति का विरोध किया था’, पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ का बड़ा खुलासा

चंद्रचूड़ को NHRC का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा? जानिए इस सवाल पर पूर्व CJI ने क्या कहा