सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक वाकया सुनाया। यह वाकया सुनाते हुए उन्होंने जजों के स्वभाव पर भी एक तरह से अपनी राय रख दी। चंद्रचूड़ ने बताया- लॉ पढ़ रही एक लड़की ओएनजीसी केस के बारे में मेरा इंटरव्यू लेना चाहती थी। मैंने पूछा- मेरा इंटरव्यू क्यों लेना चाहती हो? उसने कहा- आप उम्मीद से एकदम अलग (Reversed) हैं, इसलिए। यह कहते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ मुस्कुराए, फिर हैरानी भरे अंदाज में कहा- अगर जज उम्मीद के विपरीत हो जाएं तो फिर उनके पास कहने के लिए कुछ रह ही नहीं जाता है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के चीफ जस्टिस का कार्यभार संभाला था। वो मई 2016 में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। इससे पहले वो इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में भी वह बतौर जज काम कर चुके हैं। जज बनने से पहले वो एडिशनल सॉलिसिटर जनरल थे।
पिता के फैसलों को भी पलट चुके हैं सीजेआई
चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भारत के 16वें चीफ जस्टिस थे। उनका कार्यकाल 1978 से 1985 तक रहा। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद चंद्रचूड़ सीजेआई बने। वो बेबाक फैसलों के लिए चर्चित हैं। खास बात है कि वो अपने पिता के 2 बड़े फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में पलट भी चुके हैं। वो सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या जैसे अहम केसों में जज रह चुके हैं। कॉलेजियम के मसले पर सरकार से उनकी तनातनी जगजाहिर है। वो साफ कह चुके हैं कि जजों की नियुक्ति के लिए इससे बेहतर सिस्टम कोई दूसरा नहीं है। चुनाव आयोग को लेकर दिया उनका फैसला भी खासी सुर्खियों में रहा है।
कार्यकाल के पहले तीन महीनों में सुप्रीम कोर्ट में दायर केसों से ज्यादा मामले निपटाए गए
CJI डीवाई चंद्रचूड़ के सीजेआई बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पहले से तेजी देखने को मिली। उनके कार्यकाल के पहले तीन महीनों के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 14 हजार से ज्यादा मामले निपटाए गए। उनके सीजेआई बनने के बाद के तीन माह के दौरान कुल 13 हजार से ज्यादा मामले सुप्रीम कोर्ट में दायर हुए। इस दौरान तकरीबन 14 हजार मामलों को निपटाया गया। सुप्रीम कोर्ट का रजिस्ट्री वर्क भी पूरी तरह पेपरलेस हो गया है।
पहली बार मनाया गया सुप्रीम कोर्ट का स्थापना दिवस
CJI की पहल पर ही पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार अपना स्थापना दिवस मनाया, जिसमें सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुंदरेश मेनन शिरकत की। सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1950 में हुई थी। उसके बाद से कभी भी स्थापना दिवस नहीं मना था। इस दिशा में डीवाई चंद्रचूड़ ने ही पहल की थी।