‘मैं गोली भी मार देता अगर बंदूक होती। कोई हमारी मां को गाली देगा तो क्‍या उसे मारोगे नहीं?’ यह कहना है कि दिल्‍ली के विश्‍वास नगर से विधायक ओपी शर्मा का।  दिल्‍ली के तीन भाजपाई विधायकों में एक, ओपी शर्मा 15 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में एक सीपीआई लीडर को पीटते हुए कैमरे में कैद हो गए थे। उनका कहना था कि जो पाकिस्‍तान जिंदाबाद के नारे लगाएगा उसको मारेंगे। हालांकि, बाद में उन्‍होंने यह सफाई भी दी कि जो पाकिस्‍तान जिंदाबाद का नारा लगा रहा था, उसे हम पकड़ रहे थे, मार नहीं रहे थे। लेकिन ‘इंडियन एक्‍सप्रेस’ से बातचीत में उन्‍होंने अपने तेवर साफ करते हुए गोली मारने की बात कही है।

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अरुण जेटली के करीबी माने जाने वाले ओपी शर्मा 2008 में पॉलिटिक्‍स आए थे, जब उन्‍होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था। विश्‍वास नगर विधानसभा सीट से हारने के बाद भी किसी और सीट से चुनाव लड़ना उन्‍हें मंजूर नहीं था। उन्‍होंने 2013 में एक बार फिर विश्‍वास नगर से ही चुनाव लड़ा और जीत गए। 2015 में जब चुनाव हुए तो वह फिर इसी सीट से लड़े और इकलौते ऐसे विधायक रहे, जिसने अपनी सीट बचाई।

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ओपी शर्मा के पिता दिल्‍ली नगर निगम में ड्राइवर थे। उनका जन्‍म कश्‍मीरी गेट स्थित स्‍टाफ क्‍वाटर्स में हुआ था। उनके दो छोटे भाई हैं। ओपी शर्मा ने सत्‍यवती कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, जहां वह स्‍टूडेंट यूनियन के अध्‍यक्ष रहे। ओपी शर्मा ने दिल्‍ली यूनिवर्सिटी स्‍टूडेंट यूनियन का भी चुनाव लड़ा था। उस वक्‍त अरुण जेटली अध्‍यक्ष हुआ करते थे। ओपी शर्मा खुद कभी दिल्‍ली नगर निगम में नौकरी किया करते थे। वह हाउस टैक्‍स डिपार्टमेंट में इंस्‍पेक्‍टर थे। पिता के निधन के बाद उन्‍हें यह नौकरी मिली थी, लेकिन एक साल बाद ही उन्‍होंने नौकरी छोड़ दी और मिठाई की दुकानें संभालने लगे, जो कि उनका परिवार पहले से चला रहा था। इन्‍हीं में से एक दुकान वह थी, जिस पर पिछले साल आम आदमी पार्टी नेता अलका लांबा ने ‘रेड’ मारी थी। ओपी शर्मा की पत्‍नी गीता ने भी 2002 में राजनीति में हाथ आजमाया था, लेकिन वह हार गईं।

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