इस बार लाल किले पर आजादी का जश्न फीका रहा। प्रमुख व अतिप्रमुख लोगों को छोड़ दें तो बड़े जद्दोजहद से अपनी दीर्घाओं में स्थान पाए लोगों में वो लोग भी थे पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसी सभा में शरीक हुए थे। इनमें प्रधानमंत्री के भाषण पर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली। कोई खुश दिखा तो कोई निराश। सबसे ज्यादा निराशा ‘वन रैंक वन पेंशन’ को लेकर हुई। पर ज्यादातर लोगों ने कहा-पिछला भाषण ज्यादा अच्छा था।
लाल किले पर जुटे लोगों को प्रधानमंत्री वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) के एलान की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा न होने पर पूर्व सैनिक नरेंद्र सिंह (80) ने कहा कि अब आर पार की लड़ाई लड़ेंगे। अन्य पूर्व सैनिक महेश मलिक ने कहा कि 86 मिनट के भाषण के दौरान मोदी जब सेना के मुद्दे पर आए तो उन्हें एकबारगी लगा कि शायद ओआरओपी लागू की बात ही अगली घोषणा होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री ने जैसे ही अपने भाषण में नए अभियान ‘स्टार्टअप इंडिया-स्टैंडअप इंडिया’ की घोषणा की, दीर्घा में तपाक प्रतिक्रिया दर्ज हुई। मसलन पिछली बार वाले मेक इन इंडिया का क्या हुआ, इसका लेखा जोखा कहां गया। जब प्रधानमंत्री ने दलित, आदिवासी, महिलाओं और युवाओं के हाथ मजबूत करने के संकल्प के लिए 2022 की समय सीमा रखी, लोग पिछली दफे के स्वच्छता अभियान की समयसीमा 2019 की चर्चा करने लगे। आगंतुकों ने कहा कि 2022 के लिए संकल्प का यह समय नहीं है।
पिछली बार महात्मा गांधी, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद, स्वामी विवेकानंद आदि का जिक्र करने वाले मोदी ने संविधान निर्माता डा भीमराव आंबेडकर का जब नाम लिया दीर्घा में इसे वोट के चश्मे से देखा गया। दरियागंज के असीम सिंह ने कहा समाज में जातिवाद के जहर और संप्रदायवाद के जुनून की चर्चा बेमानी है। बता दें कि मोदी ने 86 मिनट के भाषण में 42 बार गरीबी और 38 बार टीम इंडिया शब्द दोहराए। उन्होंने अपनी बात की शुरुआत ही टीम इंडिया से की। दरअसल, टीम इंडिया का जिक्र भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किया था। आज लाल किले के प्राचीर का यह मानो ब्रह्म वाक्य था।
भाषण के बीचोबीच, प्रधानमंत्री के बीते 15 महीनों के शासन में एक नए पैसे के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं होने के दावे पर दर्शक दीर्घा में ‘सुषमा’ बीच बहस में आ खड़ी हुईं। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री के ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ की बात पर मैगसेसे पुरस्कार विजेता संजीव चतुर्वेदी से जुड़े पहलुओं की चर्चा शुरू हो गई। काले धन पर दिल्ली पुलिस को यहां पहुंचाने की सेवा में लगी डीटीसी की पुरानी बस के चालक ने कहा कि देश इस मुद्दे पर गुमराह हो गया।
प्रधानमंत्री के सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं पर उन्हें सबसे ज्यादा समर्थन मिला। लाल किला पहुंचने वालों में से अमूमन सभी ने इस बाबत सरकार के कदम को सराहा और दावा किया कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, जीवन ज्योति योजना योजनाए गरीबों की भलाई करेगी।
लाल किले से निकलते महिलाओं के एक समूह में किसी ने जैसे ही यह जिक्र किया कि ‘मोदी भी बोलते-बोलते पसीने से तर हो गए’। इस पर यहां मौजूद व पेशे से शिक्षक रहीं रूनी दलाल ने कहा, कौन नहीं भीगा? पिछला भाषण ज्यादा अच्छा था। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि भाषण काफी लंबा था, पर उबाऊ नहीं। उन्होंने कहा मोदी ने पिछले साल जनधन, स्वच्छता, मेक इन इंडिया जैसे वादे किए थे। इस बार उन्होंने उनका लेखा जोखा दिया। उनकी मित्र हेमा राघवन ने कहा लाल किला की प्राचीर से दिया गया भाषण में अपील से ज्यादा कार्रवाई पर जोर होना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं था। प्रधानमंत्री की ओर से समाजिक बदलाव के लिए दलितों व महिलाओं को ऋण देने की अपील पर उन्होंने कहा कि मोदी बैंकों से अपील की मुद्रा में हैं। जो शायद अनुचित होगा। तर्क था कि समाज का आर्थिक बदलाव कोई रहम-करम से नहीं होता।
आटो चालकों, सफाई कर्मचारियों को श्रम कल्याण पर प्रधानमंत्री की बातें भी भार्इं। लेकिन 1000 दिनों में सभी घरों में बिजली पहुंचाना, भ्रष्टाचार को खत्म करना उनकी नजर में आसान राह नहीं दिख कहा। शिव कुमार ने कहा, ये सभी राजनीतिक वादे ज्यादा लग रहे हैं। हो सकता है बिहार में चुनाव के कारण इस तरह की बातें की गई हों। उन्होंने डीएल (ड्राइविंग लाइसेंस) में रिश्वत का हवाला देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार नहीं खत्म हो सकता। छोटी नौकरियों में इंटरव्यू खत्म करने की बात भी आम आदमी को संभव नहीं लगती। जामिया की छात्र आलिशां जहां ने कहा कि यह अव्यावहारिक ही नहीं, हास्यास्पद भी है। उन्होंने कहा कि इस साल के मुकाबले पिछले साल का भाषण ज्यादा अच्छा था।
इस बार भाषण में राजनीतिक ‘इनपुट’ ज्यादा दिखाई दे रहा है। बता दें कि लाल किले के आसपास भाजपा व संघ के लोगों का भी खासा जमावड़ा था। भाजपा कार्यालय से मेट्रो की फ्री सेवा की सूचना वाला संदेश मोबाइल पर 14 अगस्त की रात्री से ही बार बार भेजा जाने लगा था। भाजपा के लीगल सेल के लोगों के मुताबिक एसएमएस में साढ़े चार बजे से साढ़े छह बजे के बीच निशुल्क मेट्रो सेवा की जानकारी देकर लाल किला पहुंचने की अपील की गई थी।