कोरोना की पहली लहर से जूझकर जैसे-तैसे खड़े होने की कोशिश कर रहे रियल एस्टेट कारोबार को मौजूदा दूसरी लहर ने बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इससे समूचे देश का रियल एस्टेट कारोबार चरमरा गया है। स्थिति कब तक सुधरेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इतना होने पर भी केंद्र या राज्य सरकारों की तरफ से किसी तरह के राहत पैकेज की घोषणा नहीं होने से हालात और बिगड़ने के आसार बन गए हैं। बड़े पैमाने पर बैंक खातों के एनपीए होने से स्थिति और खराब हो सकती है।
एनसीआर में नोएडा, ग्रेटर नोएडा स्थित दर्जनों बिल्डर परियोजनाओं के कार्यालय पिछले करीब एक महीने से तकरीबन बंद पड़े हैं। कोरोना के खौफ के चलते खरीदार आ नहीं रहे हैं। निर्माण स्थलों पर बचे मजदूर काम करने को तैयार नहीं हैं और इएमआइ भुगतान में लगातार गिरावट आ रही है। रियल एस्टेट जानकारों के मुताबिक पिछले साल और उससे पहले से रियल एस्टेट क्षेत्र में छाई मंदी के चलते नई परियोजनाएं शुरू नहीं हुई है। ऐसे में पुरानी परियोजनाओं के जल्द पूरा होकर खरीदारों को जल्द कब्जा मिलने की उम्मीद को कोरोना की मौजूदा दूसरी लहर ने पूरी तरह से तोड़ दिया है। कब तक हालात नियंत्रण में आएंगे, इसका कुछ पता नहीं है।
प्रतीक बिल्डर कंपनी के सीएमडी और के्रडाई (पश्चिम उत्तर प्रदेश) अध्यक्ष प्रशांत तिवारी ने आश्चर्य जताया कि कोरोना के भीषण प्रकोप के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार ने राहत पैकेज की अभी तक घोषणा क्यों नहीं की? क्या सरकार अभी और इंतजार करना चाह रही है? रजिस्ट्री नहीं होने से कई फ्लैट खरीदार कब्जा मिलने की आस लगाए मर चुके हैं। जबकि बहुत बड़ी संख्या में खरीदार आगे की ईएमआइ कैसे चुकाएंगे, की चिंता से ग्रस्त होकर खुद को बीमार कर रहे हैं।
कोविड -19 के मद्देनजर सरकार को सामान्य और रियल एस्टेट क्षेत्र को मजबूती देने के लिए तीन महीने के लिए लोन मोरेटोरियम (ऋण माफी) जैसी घोषणाओं के साथ आना चाहिए। परियोजनाओं के पूरा होने की समय सीमा बढ़ाएं और लिक्विडिटी में सुधार करें। —मनोज गौड़, सीएमडी गौर समूह एवं उपाध्यक्ष के्रडाई नेशनल (नार्थ)
महामारी का प्रभाव कई गुना तेजी से फिर से वापस आ गया है। सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। पिछले साल के अनुभव को देखते हुए देरी के बगैर लोन मोरेटोरियम की घोषणा की जानी चाहिए। निर्माण कार्य पूरा करने की समयावधि बढ़ानी होगी।—- यश मिगलानी, एमडी मिगसन बिल्डर
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तीन महीने की प्रारंभिक अवधि के लिए लोन मोरेटोरियम की घोषणा से इस अवधि के दौरान लोगों को त्वरित मदद मिलेगी। इसके लिए ऋणों के पुनर्गठन की दिशा में निर्णय लेने की उम्मीद कर रहे हैं। बैंकों को भी भूमिका निभानी चाहिए और रियल एस्टेट क्षेत्र को ऋण का विस्तार करना चाहिए, जो बदले में आर्थिक विकास में भूमिका निभाएगा। — धीरज जैन, निदेशक महागुन समूह
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केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार, दोनों से राहत की दरकार
-सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ब्याज दर कम की जाएं, ताकि लोगों की रजिस्ट्री कराने का रास्ता खुल सके
-बगैर जुर्माना लगाए बिल्डर परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पांच साल का समय मिले
-नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और रेरा की तरफ से देरी के चलते लगने वाला वाला जुर्माने पर रोक लगे।
-खाता एनपीए होने के मानक में तब्दीली कर कम से कम छह महीने की समयावधि की जाए।
-ऋण के पुनर्गठन और ब्याज में छूट की अवधि को कम से कम तीन महीने के लिए तत्काल घोषित की जाए।
-ब्याज पर ब्याज या जुर्माने पर पूरी तरह से रोक लगाकर भुगतान करने के लिए अतिरिक्त समय चरणबद्ध तरीके से दिया जाए।
-परियोजनाओं के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए कम से कम एक साल का अतिरिक्त समय दिया जाए।
रजिस्ट्री के लिए आरोग्य सेतु की तर्ज पर बने ऐप
नोएडा, ग्रेटर नोएडा इलाके में पिछले करीब दो साल से रजिस्ट्री के लिए बिल्डरों, प्राधिकरण अधिकारियों और खरीदारों के बीच जारी खींचतान के चलते सैकड़ों लोगों को निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी फ्लैट की चाबी नहीं मिल सकी है। कहीं प्राधिकरण के बकाया भुगतान, कहीं कोर्ट में मामला लंबित होने के चलते यह प्रक्रिया अटकी हुई है। नोएडा के सेक्टर-33 स्थित निबंधन कार्यालय के पदाधिकारियों के मुताबिक जिन परियोजनाओं पर कोई विवाद नहीं है, उनकी भी रजिस्ट्री कोरोना के खौफ के चलते बंद है। भले ही स्टांप ड्यूटी ऑनलाइन खरीदी जा सकती है लेकिन आरोग्य सेतु ऐप की तर्ज पर रजिस्ट्री के लिए एक ऐप शुरू करने की जरूरत है। ताकि लोग घर बैठे ऑनलाइन स्टांप ड्यूटी का भुगतान कर ऐप के माध्यम से रजिस्ट्री करा सके।