सालों तक विवादित राम जन्म भूमि अब मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद एक बार फिर चर्चा में है। इसकी बड़ी वजह जमीन की खरीद-फरोख्त है। अयोध्या में निर्वाणी अखाड़े के महंत धरम दास ने मंदिर का निर्माण कर रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों पर जमीन की खरीदी में फ्रॉड करने का आरोप लगया है।
महंत ने ट्रस्ट के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज़ कराते हुए कहा कि ट्रस्ट के सदस्यों ने लोगों और राम भक्तों की भावना के साथ खेला है और उन्हें धोका दिया है। महंत ने बुधवार को मांग कि कि अयोध्या में धर्मगुरुओं को धर्मस्थल चलाने की जिम्मेदारी दी जाए। दास ने राम जन्मभूमि थाने में ट्रस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में उन्होंने ट्रस्ट के सभी सदस्यों और पदाधिकारियों का नाम लिया, जिनमें महासचिव चंपत राय और सदस्य अनिल मिश्रा, अयोध्या के मेयर के भतीजे दीप नारायण, राम बल्लभकुंज के राजकुमार दास और सब-रजिस्ट्रार एसबी सिंह शामिल हैं।
हालांकि अभी कोई भी मुकदमा प्रशासनिक तौर पर पंजीकृत नहीं किया गया है और ना ही कोई भी अधिकारी संपूर्ण मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए कैमरे के सामने आ रहा है। पुलिस ने कहा कि उन्हें शिकायत मिली है लेकिन अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
2 जुलाई को, ट्रस्ट ने दावा किया था कि “विशेषज्ञों की एक टीम जिन्होंने भूमि सौदों से संबंधित सभी दस्तावेजों की जांच की” द्वारा अनियमितताओं का कोई सबूत नहीं मिला। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने संवाददाताओं से कहा कि वे किसी भी “मीडिया ट्रायल” में नहीं पड़ेंगे, और कहा कि भूमि खरीद से संबंधित सभी दस्तावेज “पूर्ण पारदर्शिता और ईमानदारी दिखाते हैं।”
धर्म दास ने अपनी पुलिस शिकायत में आरोप लगाया कि मंदिर के निर्माण के लिए एकत्र किए गए धन का दुरुपयोग किया गया था, और चंपत राय को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने बुधवार को कहा कि अयोध्या में धर्मस्थल चलाने की जिम्मेदारी हिंदू संतों को दी जाए। धर्म दास ने अतीत में ट्रस्ट के गठन को “अवैध” करार दिया था।