केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को नए भूमि अधिग्रहण विधेयक पर किसानों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार ऐसा कुछ नहीं करेगी जो उनके हितों के खिलाफ हो। इतना ही नहीं वह विपक्ष के किसी भी सुझाव को स्वीकार करने को तैयार है।

भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अखिल भारतीय पंचायत परिषद की ओर से गुरुवार को यहां आयोजित ‘समीक्षा अधिवेशन’ में किसानों को संबोधित करते हुए गडकरी ने आरोप लगाया कि देश में वोट बैंक की राजनीति के लिए किसानों को गुमराह किया जा रहा है।

उन्होंने कहा- हम किसानों के पक्ष में हैं। हमारी सरकार कभी कोई ऐसा फैसला नहीं करेगी जो किसानों के साथ अन्याय करता हो। हमने विधेयक में बदलाव किए हैं जो किसानों के हित में हैं और हमने उनके पुनर्वास व पुनर्स्थापन पर ध्यान दिया है। मैं सभी को खुली बहस के लिए आमंत्रित करता हूं।

विधेयक का विरोध करने पर विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए गडकरी ने कहा- वे नए विधेयक पर जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। वे अपने राजनीतिक फायदों और वोट बैंक की राजनीति के लिए यह तमाशा कर रहे हैं। मैं उनसे खुली बहस की अपील करता हूं। मैं उन्हें चुनौती देता हूं और अगर हम गलत साबित होते हैं तो भूल सुधार के लिए और आपके सुझावों को शामिल करने के लिए तैयार हैं।

गडकरी ने नए विधेयक के खिलाफ सभी विपक्षी दलों के मार्च का नेतृत्व करने पर कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह पिछले 55 साल से क्या कर रही थी। जब देश की सत्ता में थी और उन्होंने इतने सालों में देश में ग्रामीण ढांचा विकसित करने के बारे में क्यों नहीं सोचा। उन्होंने कहा कि अब जब ग्रामीण बुनियादी संरचना के विकास की बात हो रही है तो वे इसका विरोध कर रहे हैं। वे इतने सालों तक कहां थे, जब वे सत्ता में थे। उन्होंने इतने साल तक ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे का विकास क्यों नहीं किया?

केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा कि नए विधेयक के अनुसार हमने ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को जमीन का मुआवजा चार गुना तक बढ़ाने का फैसला किया है और शहरी क्षेत्रों में जमीन की कीमत दोगुनी करने का फैसला किया है। इसके अलावा उनके पुनर्वास और उनके परिजनों के लिए रोजगार का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने अपने विधेयक के तहत अनिवार्य सहमति और सामाजिक प्रभाव के प्रावधानों के दायरे से 13 कानूनों को बाहर किया था और भाजपा सरकार ने केवल कुछ और मुद्दों को छूट की सूची में जोड़ा है जिनमें रक्षा और सुरक्षा, ग्रामीण और सामाजिक बुनियादी संरचना के लिए जमीन अधिग्रहण के अलावा औद्योगिक कॉरीडोर की स्थापना शामिल है।

गडकरी ने यह भी कहा कि कांग्रेस और वामपंथी शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पुराने भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध किया था और उसमें बदलाव की मांग की। लेकिन राजनीतिक दल राजनीति करने का प्रयास कर रहे हैं और संसद के बाहर मार्च निकालकर जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्ष को औद्योगिक कॉरीडोर की स्थापना से सबसे ज्यादा आपत्ति है और उन्होंने सवाल किया कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या ग्रामीणों को प्रगति करने, रोजगार प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। क्या उनके उत्पाद उद्योगों तक नहीं जाने चाहिए।

गडकरी ने कहा- वे आपको बताना चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार गरीबों या किसानों के खिलाफ नहीं है और न तो जबरन किसानों की जमीन लेना चाहती है। इस तरह की कोई बात नहीं है। हम कोई किसान विरोधी कदम नहीं उठाएंगे। कांग्रेस ने इतने सालों तक किसानों के लिए क्या किया, जबकि वे आज भी आत्महत्या कर रहे हैं? अचानक किसानों के लिए इतना प्रेम क्यों? उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के उदाहरण दिए जो पिछले भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ थे।

गडकरी ने कहा- वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए सियासत कर रहे हैं और नए विधेयक पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। कोई संशोधन किसानों के हितों के विरुद्ध नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर ग्रामीण क्षेत्रों का विकास रोकने और उन्हें 20 साल पीछे धकेलने का आरोप लगाया। मंत्री ने किसानों से अपील की कि वे किसान सभाएं और पंचायतें आयोजित करके इस मुद्दे को उठाएं और किसानों की इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करें कि नया विधेयक उनके या उनके हितों के खिलाफ है।