भारतीय राजनीति में लालू यादव की एक अलग पहचान है। अपने निराले अंदाज के चलते ही वह बिहार से लेकर केंद्र तक की सियासत में हमेशा चर्चा का विषय रहे हैं। स्वास्थ्य कारणों से लालू भले ही सक्रिय राजनीति में से दूर हो गए हों लेकिन अपनी खास शैली के कारण आज भी उनको याद किया जाता है। अपने तेजतर्रार भाषणों के साथ चुटीले तरीकों से विरोधियों के कान पकड़ना भी लालू को खूब आता है। स्वास्थ्य बिगड़ने और जेल जाने से पहले लालू प्रसाद यादव ने अपनी पूरी ताकत से 2015 के विधानसभा चुनावों को लड़ा था। इन चुनावों में उन्होंने नीतीश कुमार के साथ मिलकर मोदी लहर पर लगाम लगाई थी।
2015 के चुनावों का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस थ्रोबैक वीडियो में लालू, चुनावी मैदान में उतरने से पहले की तैयारियों में जुटे दिखाई दे रहे हैं। आजतक समाचार चैनल की एंकर अंजना ओम कश्यप को इंटरव्यू देने के लिए उनके पास समय नहीं था तो नहाने और खाने के बीच के समय में ही चर्चा करने लगे।
वीडियो में लालू यादव रैलियों में निकलने से पहले बिहारी भोज का आनंद लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनकी थाली में गरमा गरम दाल चावल के साथ लौकी और भिंडी दिखाई दे रही थी। एंकर से बातचीत में उन्होंने बताया दिन में आठ रैलियां करनी हैं।
लालू का देसी अंदाज हर किसी को चौंका देता है। वह अपने आप को पिछड़ों और वंचितों का नेता मानते हैं। अगर उनकी शैली को देखें तो आप उस भाव को पकड़ पाएंगे जिसके कारण समाज का पिछड़ा वर्ग उन्हें अपना नेता मानता है।
भोजन के दौरान जब एंकर ने उनसे पूछा कि सुबह सवेरे सारी तैयारी के साथ जाते हैं, तो उन्होंने बताया कि यही लौकी और भिंडी खाकर नरेंद्र मोदी की विदाई का श्रीगणेश करते हैं।
लालू चाहे अपने घर पर हो, चुनाव के मैदान में हो या फिर संसद भवन में, अपने बयानों से विरोधियों पर भारी पड़ जाते हैं। एक बार सदन में उनका सामना सुषमा स्वराज से हो गया। FDI को लेकर तीखी बहस चल रही थी। तभी लालू यादव ने सुषमा स्वराज को संबोधित करते हुए कह दिया कि मैं आपको बड़ी बहन मानता हूं, इसे अनादर मत समझिएगा लेकिन अभी मुझे एक शेर याद आ रहा है। मोहब्बत में तुम्हें आंसू बहाने नहीं आता, बनारस में आकर तुम्हें पान खाना नहीं आता।
संसद के तनाव भरे माहौल को लालू यादव के एक शेर ने कुल देर के लिए हल्का कर दिया था। हालांकि उनके इस शेर के जवाब में सुषमा स्वराज ने एक शेर सुना दिया था, जिसके बाद संसद ठहाकों से गूंज उठा थी।
राजनीति की सारी परिपाटियों को तोड़कर लालू अपने तरीकों से इसे करते रहे। उन्होंने नारे भी ऐसे ऐसे दिए जो आज तक जिंदा हैं। लालू यादव ने जब बिहार में राज करना शुरू किया तो उन दिनों उनके आस पास कोई विपक्षी ताकत नहीं थी। कांग्रेस कमजोर थी और बीजेपी उभर ही नहीं पा रही थी।
लगातार चुनाव जीतने के चलते उन्होंने नारा दिया था। जब तक रहेगा समोसे में आलू, बिहार में रहेगा लालू। इसी तरह उन्होंने अगड़ी जातियों के खिलाफ भूरा बाल हटाओ का नारा दिया था जो बिहार की सियासत में कई सालों तक काम करता रहा।