कांग्रेस ने संकेत दे दिया है कि ललित मोदी कांड को लेकर वह मॉनसून सत्र में मोदी सरकार को घेरेगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को कहा कि अगर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया तो नरेंद्र मोदी के लिए संसद का सामना करना ‘नामुमकिन’ होगा।
आजाद ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि कांग्रेस इस मामले को अवश्य उठाएगी। उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि संसद में कोई भी विपक्षी दल ऐसा होगा, जो बैठकर देखेगा और खामोशी अख्तियार करेगा। आजाद का बयान इस लिहाज से अहमियत रखता है कि कांग्रेस और वामपंथी दलों के अलावा विपक्ष के किसी दल ने सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग नहीं की है।
हकीकत यह है कि समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सुषमा के प्रति हमदर्दी जताई है।
सूत्रों का कहना है कि अन्य दलों का साथ नहीं मिलने पर कांग्रेस संसद में अकेले आवाज बुलंद करेगी। कांग्रेस को भरोसा है कि राज्यसभा में उसके 68 सदस्य सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। पार्टी सूत्रों का मानना है कि जब भाजपा विपक्ष में थी, उसने कम सदस्य होने के बावजूद सदन में रोजाना हंगामा खड़ा किया था और यूपीए सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी थी। कांग्रेस को यकीन है कि उसे वामदलों के दस सदस्यों का समर्थन मिल सकता है।
सुषमा और राजे के इस्तीफे की मांग करते हुए माकपा के महासचिवसीताराम येचुरी ने भी गुरुवार को कहा कि मानसून सत्र में इस मामले को जोरशोर से उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार के लंबे-चौड़े दावों के मद्देनजर हमारे लिए यह संसद में उठाने के लिए एक मुद्दा होगा।
येचुरी ने कहा कि यह सोचने वाली बात है कि प्रधानमंत्री इस समय मौन क्यों धारण किए हैं। उन्होंने कहा कि जो कुछ हो रहा है, क्या उसे पीएमओ की ओर से मंजूरी मिली है। उधर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सामने आ रही घटनाएं चिंताजनक हैं। यह देश के लिए ही नहीं, प्रधानमंत्री की निष्ठा पर भी सवाल उठाता है।