ललित मोदी विवाद में कांग्रेस ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर हमले तेज कर दिए हैं। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को मांग की कि ललित मोदी मामले में यूपीए सरकार के दौरान ब्रिटेन के अधिकारियों को लिखे गए सभी पत्रों को सरकार सार्वजनिक करे। चिदंबरम ने कहा सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि ललित मोदी धनशोधन सहित विभिन्न आरोपों का सामना करने के लिए भारत लौटें।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने कहा कि यूपीए के खिलाफ ललित मोदी के आरोपों का पूरा जवाब ब्रिटेन के चांसलर को लिखे पत्र से मिल सकता है। सरकार इन्हें जारी करे।
मालूम हो कि ललित मोदी ने मंगलवार रात टेलीविजन पर साक्षात्कार में कांग्रेस और चिदंबरम पर राजनीतिक बदले के तहत निशाना साधने का आरोप लगाया था। दो साल पहले चिदंबरम ने ब्रिटिश सरकार से पूछा था कि वह पूर्व आइपीएल प्रमुख ललित मोदी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है जो धन शोधन सहित व्यापक वित्तीय अनियमितता के मामले में आरोपी है और लंदन में शरण लिए हुए हैं।
चिदंबरम ने इस मामले को 2013 में चांसलर आफ द एक्सचेकर जार्ज ओसबोर्न के साथ बैठक में उठाया था। वे चाहते थे कि ब्रिटेन ललित मोदी को वापस भेजे, क्योंकि भारत में उनका पासपोर्ट जब्त हो गया था और उनके ब्रिटिश वीजा की अवधि समाप्त हो गई थी।
चिदंबरम ने बुधवार को चेन्नई में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सरकार को ललित मोदी की भारत वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आइपीएल के पूर्व दागी प्रमुख को ब्रिटेन से यात्रा दस्तावेज पाने में मदद करने की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कार्रवाई नियमों का उल्लंघन है और अपने जानकार की तरफदारी करने का मामला है।
पूर्व वित्त मंत्री ने यह बताने की मांग की कि पिछले साल मोदी का दस्तावेज बहाल करने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देने का फैसला किसने किया, क्योंकि सामान्य रूप से पलटने वाले फैसले को हमेशा उच्च अदालत में चुनौती दी जाती है। उन्होंने कहा कि जब हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने ललित मोदी का पासपोर्ट रद्द करने को निरस्त किया तो किसने सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील दायर नहीं करने का फैसला किया। ईडी के कहने पर पासपोर्ट रद्द किया गया था। क्या इस मामले में उससे राय ली गई। साथ ही, किसने ललित मोदी को ताजा पासपोर्ट जारी करने का फैसला किया। क्या सरकार फाइल नोट सार्वजनिक करेगी?
चिदंबरम ने कहा कि मोदी भारतीय पासपोर्ट धारी थे और बिना किसी वीजा के लंदन में उनका प्रवास सभी नियम-कायदों का उल्लंघन था और यह उन आधारों में से एक था जिस पर उनकी वापसी की मांग की गई थी।
उन्होंने सवाल किया कि अगर सुषमा मानवीय आधार पर मोदी की मदद करना चाहती थीं, जैसा कि दावा किया जा रहा है, तो उन्होंने क्यों भारतीय उच्चायोग को पत्र नहीं लिखा और उनसे ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज जारी करने की सिफारिश के बजाय भारतीय यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए क्यों नहीं कहा।
चिदंबरम ने सवाल किया कि जब ललित मोदी भारत में गंभीर आपराधिक आरोप का सामना कर रहे थे तो सुषमा ने क्यों उनके लिए दीर्घकालीन वीजा या ब्रिटेन में रेजिडेंसी पाने में उनकी मदद की। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर यह मानवीय आधार का सवाल था तो क्यों उन्होंने यात्रा दस्तावेज हासिल करने में उनकी मदद करते हुए आरोपों का सामना करने के लिए मोदी के भारत लौटने पर जोर नहीं दिया। यह साफ तौर पर अधिकारों के दुरुपयोग और नियम-कायदों के उल्लंघन का मामला है।
प्रतिशोध के आरोपों पर चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली का मंगलवार को दिया यह जवाब कि 16 में से 15 मामले अब भी कायम हैं, खुद सब कुछ कह देता है।
उनसे जब पूछा गया कि क्यों मोदी को 2010 में भारत से जाने से नहीं रोका गया तो पूर्व वित्त मंत्री ने कहा-‘उस वक्त उनकी यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं था और यह सिर्फ जांच का चरण था। आप कैसे मान ले सकते हैं कि वह नहीं लौटेंगे।’
चिदंबरम से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जेटली के जवाब का जिक्र किया कि किसी मंत्री के फैसले की सामूहिक जिम्मेदारी पूरी सरकार लेती है और कहा-‘मैं मानता हूं कि प्रधानमंत्री पीएम के रूप में जिम्मेदारी लेते हैं।’
सुषमा के समर्थन में संघ के आने के बाद भाजपा की ओर से विदेश मंत्री के बचाव के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा-‘यह दिखाता है कि कौन आका है।’
‘ललितगेट’ के नए खुलासे में वसुंधरा राजे का नाम जुड़ने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने ललित मोदी की मदद करने के लिए राजे और सुषमा के इस्तीफे की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में उनकी चुप्पी से साफ है कि इन नेताओं को प्रधानमंत्री का मौन समर्थन हासिल है।