लखीमपुर खीरी कांड पर सरकार को अब किसान चारों तरफ से घेरने का प्लान बना रहे हैं। इस बार किसान संगठनों ने लखीमपुर कांड के विरोध में यूपी के लिए खास प्लान तैयार किया है। बीजेपी के कुछ नेता भी इस घटना और जांच को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उधर पंजाब में प्रदर्शनकारी किसानों ने बादल के काफिले पर जुते फेंक कर विरोध जताया है।
किसान संगठनों की तैयारी- लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच और गिरफ्तारी से किसान बिल्कुल संतुष्ट दिखाई नहीं दे रहे हैं। किसान संगठनों ने इस घटना के विरोध में आगे की रणनीति की घोषणा कर दी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 12 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में ‘कलश यात्रा’ निकालने का ऐलान किया है। इसके साथ ही 18 अक्टूबर को रेल रोको आंदोलन और 26 अक्टूबर को लखनऊ में महापंचायत करने की भी घोषणा की है।
बादल के काफिले पर फेंका गया जूता- उधर पंजाब में तीन कृषि कानूनों को विरोध कर रहे किसानों ने सुखबीर सिंह बादल के काफिले पर जूता फेंक दिया। हालांकि, जूता सुखबीर बादल को नहीं लगा और उनसे कुछ दूरी पर गिर गया। बादल एक रैली को संबोधित करने के लिए जलांधर पहुंचे थे। बादल के कार्यक्रम के विरोध में वहां पहले से ही किसान मौजूद थे। जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं। इससे पहले की काफिला रैली स्थल पर पहुंचता, किसानों की भीड़ में से एक जूता उछला और सुखबीर सिंह बादल की गाड़ी पर जा लगा।
#WATCH | Farm laws protesters throw a shoe at the vehicle of Shiromani Akali Dal president Sukhbir Singh Badal in Jalandhar, Punjab pic.twitter.com/LIpyiURYRs
— ANI (@ANI) October 9, 2021
बीजेपी नेता ने सरकार को चेताया- अभी तक सुब्रमण्यम स्वामी और वरुण गांधी की अपनी पार्टी की नीतियों के खिलाफ सामने आकर सीधे तौर पर बोल रहे थे। वरुण गांधी तो लखीमपुर मामले को लेकर बीजेपी नेताओं की तीखी आलोचना भी की थी। इन दोनों की लिस्ट में अब एक और बीजेपी नेता का नाम जुड़ गया है। हरियाणा बीजेपी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच जल्द करने की बात कही है।
चौधरी बिरेन्द्र सिंह ने द वायर से बात करते हुए कहा कि इस मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी की जानी चाहिए। अगर ऐसे मामलों में न्याय में देरी हुई तो लोगों का गुस्सा जंगल में आग की तरह फैल जाएगा और पूरे समाज को नुकसान होने का खतरा है।
बता दें कि लखीमपुर हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में चार किसान, तीन बीजेपी कार्यकर्ता और एक स्थानीय पत्रकार शामिल हैं। विपक्ष और किसान तो इस मामले पर सरकार को घेर ही रहे हैं, अब भाजपा के नेता भी अपनी ही सरकार पर इस मामले को लेकर निशाना साधते देखे जा रहे हैं।