देश की राजनीति और जो कुछ भी आज के हालात में हो रहा है, उसको लेकर तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं। कई लोग देश में बढ़ती असंवेदनशीलता और असहिष्णुता को लेकर चिंता जताते हैं तो कई लोग राजनेताओं के रवैए और वोट की राजनीति की आलोचना करते हैं।

हाल ही में वरिष्ठ कवि कुमार विश्वास ने अपने ट्विटर पर राजनीति को लेकर एक पोस्ट किया तो उसको कई लोग अंग्रेजी में ट्रांसलेट करने लगे। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “भारतीय राजनीति की संवेदनशून्यता उसके नायकों की प्रभुता मद में चूर बेहयाई व उसके खूंटाबंध समर्थकों की अतार्किक व्यक्तिपूजा मुझे हर बार चौंका देती है! मैं जब भी सोचता हूं कि इन कफ़न-खसोटों की यह आख़िरी हद है वे पतन की अगली सीमा छू कर मुझे और मेरी संवेदना को हतप्रभ कर देते हैं।”

उनके इस पोस्ट को कई लोग समझ नहीं पा रहे थे। कुछ लोग इसका गूगल से अंग्रेजी में अनुवाद किए। उसके बाद भी उनके समझ में नहीं आया कि इसका मतलब क्या है। उनका कहना है कि कुमार विश्वास ने राजनीति की असंवेदनशीलता पर जो टिप्पणी की है, उससे साफ नहीं हो रहा है कि वे कहना क्या चाहते हैं।

कुमार विश्वास सोशल मीडिया पर अक्सर सक्रिय रहते हैं। वे विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय खुलकर रखते हैं। राजनीति के अलावा वे विभिन्न दूसरे मुद्दों पर भी अपनी बात रखते हैं।

हाल ही में उन्होंने कोविड-19 की वजह से दम तोड़ रहे लोगों पर भावुक होकर टिप्पणी की थी। उन्होंने अपने पोस्टम में लिखा, “कोरोना भयावह होकर लौटा है।अनुराग टिटोव भैया, बबीता भाभी(उज्जैन), राज्यलक्ष्मी दी(मथुरा)के देहांत से दुखी हूं। मास्क ज़रूर लगाएं, कहीं न मिले तो जो मास्क चुनाव-आयोग ने अपनी आंखों पर लगा रखा है, उसे ही आप मुंह पर लगा लें पर लगाएं ज़रूर। देश के अंदर फैले सभी वायरसों से बहुत सतर्क रहें।”