कोलकाता रेप मामले में सोमवार रात को सीएम ममता बनर्जी की जूनियर डॉक्टरों के साथ एक अहम मीटिंग हुई। उस मीटिंग के बाद विवाद की बर्फ भी कुछ हद तक पिघली और सीएम ममता ने डॉक्टरों की मांगों को मान लिया। इसी कड़ी में कोलकाता पुलिस आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक और चिकित्सा शिक्षा निदेशक को हटाने की घोषणा की गई है। लेकिन इन मांगों के पूरा होने के बाद डॉक्टरों का प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ है। कुछ प्रदर्शनकािरयों का कहना है कि जब तक सारी मांगे नहीं मान ली जाती, काम पर नहीं लौटा जाएगा।

कोलकाता केस: काम पर क्यों नहीं लौटे डॉक्टर?

एक डॉक्टर का तो साफ कहना है कि जब तक ममता बनर्जी सारी मांगें नहीं मान लेतीं, हम काम पर वापस नहीं लौटने वाले। अभी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है, उसका भी इंतजार करना है। एक दूसरे डॉक्टर ने बताया है कि उनकी सुरक्षा को लेकर ना के समान चर्चा हुई है, उसे सिर्फ सीसीटीवी लगाने तक सीमित कर दिया गया। वे उससे संतुष्ट नहीं और बड़े बदलाव चाहते हैं।

ममता सरकार ने मानी डॉक्टरों की मांगें

जानकारी के लिए बता दें कि पिछले 38 दिनों से यह प्रदर्शन जारी है, डॉक्टर अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। अब सीएम ममता से मिलने के बाद उनका कहना है कि आम लोगों के समर्थन की वजह से इतने दिनों तक यह प्रदर्शन चल पाया है। आगे भी पीड़िता को न्याय दिलवाने के लिए संघर्ष जारी रखना होगा। सीएम ममता बनर्जी ने भी उस मीटिंग के बाद एक बयान जारी किया था।

सीएम ममता ने क्या आश्वासन दिया?

उन्होंने जोर देकर बोला था कि डॉक्टरों की पांच में से तीन मांगें मान ली गईं, अब उन्हें काम पर लौटना चाहिए। मैं भरोसा दिलाती हूं कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। वैसे ऐसे आश्वासन तो सुप्रीम कोर्ट ने भी किए थे, लेकिन फिर भी डॉक्टर राजी नहीं हुए और उनका प्रदर्शन जारी रहा। राज्य सरकार के मुताबिक अब मरीजों के इलाज के आभाव में मौत होने लगी है, अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा चुकी हैं।