कोलकाता केस में जूनियर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। राज्य सरकार की तरफ से कोशिश जरूर हो रही है कि अब सभी डॉक्टर काम पर वापस लौट जाएं, लेकिन जमीन पर स्थिति इससे उलट दिखाई दे रही है। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें मौखिक आश्वासन तो सरकार से मिल रहा है, लेकिन लिखित में कुछ नहीं दिया गया, ऐसे में पारदर्शिता की कमी है।

कोलकाता केस: काम पर क्यों नहीं लौटे डॉक्टर?

डॉक्टरों के प्रदर्शन को लीड करने वाले देबाशीष हल्दार ने एक बयान में कहा कि हम इस बात की तारीफ करते हैं कि सरकार की तरफ से हमे मौखिक आश्वासन मिल रहे हैं, हमे उम्मीद है कि सरकार अब लिखित में भी यह आश्वासन देगी। लेकिन तब तक हमारी कार्रवाई जारी रहने वाली है। इसके ऊपर डॉक्टरों की एक शिकायत यह रही कि मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग वे नहीं कर पाए। उनके जैसे कई दूसरे डॉक्टर अभी भी सड़क पर बैठे हैं, ऐसे में उन्हें भरोसा देने के लिए स्ट्रीमिंग जरूरी थी, लेकिन वो संभव नहीं हो पाई।

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डॉक्टरों की अधूरी मांगें क्या हैं?

अभी के लिए डॉक्टरों का यह भी कहना है कि उनकी कुछ दूसरी मांगों को नहीं माना गया है। इसमें कुछ अन्य अधिकारियों का सस्पेंशन शामिल है। इसके अलावा राज्य के हेल्थ सेकरेट्री का इस्तीफा भी मांगा गया है। अस्पताल में सुरक्षा बढ़ाने को लेकर भी कई सुझाव दिए गए हैं। वैसे डॉक्टरों की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है कि जब तक सारी मांगें नहीं मान ली जाती, काम पर वापस नहीं लौटा जाएगा।

राज्य सरकार का क्या कहना है?

पिछली बार सीएम ममता बनर्जी ने जरूर कहा था कि डॉक्टरों की 99 फीसदी मांगें मान ली गईं, वे क्योंकि नौजवान हैं ऐसे में उनकी बातों को सुना गया। लेकिन ममता का यह बयान भी विरोध कर रहे डॉक्टरों को ज्यादा रास नहीं आया और दो टूक कहा गया कि सरकार उनके नौजवान होने की वजह से नहीं झुकी है बल्कि इसलिए झुकी क्योंकि उनका प्रदर्शन लगातार जारी रहा। अभी के लिए डॉक्टरों की राज्य के चीफ सेकरेट्री के साथ एक और मीटिंग होने जा रही है, उसमें कई दूसरे बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी।